विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज... ED के रडार पर क्यों आईं फिल्मी दुनिया की मशहूर हस्तियां?

    बॉलीवुड और साउथ की ग्लैमरस दुनिया अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर है. फिल्मों में लोगों को एंटरटेन करने वाले सितारे अब खुद सवालों के घेरे में हैं.

    Vijay Deverakonda Rana Daggubati Prakash Raj ED radar
    विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज

    बॉलीवुड और साउथ की ग्लैमरस दुनिया अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर है. फिल्मों में लोगों को एंटरटेन करने वाले सितारे अब खुद सवालों के घेरे में हैं. बात सिर्फ किसी स्क्रिप्ट की नहीं, बल्कि असल ज़िंदगी के उस घोटाले की है जिसमें एक के बाद एक नामचीन हस्तियों पर गैरकानूनी सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार का आरोप लग चुका है.

    ईडी ने तेलंगाना के 29 बड़े फिल्म स्टार्स, यूट्यूबर्स और इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर्स के खिलाफ जांच की शुरुआत की है. ये वही चेहरे हैं जिन्हें लाखों लोग फॉलो करते हैं, जिनकी पोस्ट पर हजारों लाइक्स आते हैं और जिनके एक प्रमोशनल वीडियो से ब्रांड्स को मोटा फायदा होता है. मगर इस बार मामला प्रमोशन से कुछ ज्यादा गहरा है—आरोप है कि इन्होंने पब्लिक को धोखा देने वाले ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा दिया.

    25 सेलिब्रिटीज के खिलाफ एफआईआर दर्ज 

    इस पूरे मामले की शुरुआत मियापुर के एक व्यापारी फणिंद्र शर्मा की शिकायत से हुई थी. उन्होंने कहा कि कुछ बड़े फिल्मी सितारे और सोशल मीडिया पर असर रखने वाले लोग युवाओं को ऐसे ऐप्स की तरफ आकर्षित कर रहे हैं, जो उन्हें आसान पैसे का सपना दिखाकर लूट लेते हैं. खासतौर पर मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास फैमिली इसकी चपेट में आई हैं.

    शिकायत के आधार पर साइबराबाद पुलिस ने 19 मार्च 2025 को करीब 25 सेलिब्रिटीज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इसके बाद ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA के तहत जांच शुरू की. अब ईडी ये पता लगा रही है कि इन सितारों को प्रमोशन के बदले कितना पैसा मिला, पेमेंट कहां से आया, और उसका टैक्स रिकॉर्ड क्या है. शुरुआती जांच में ये बात सामने आई कि इन ऐप्स के जरिए हजारों करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ है. यानी ये सिर्फ एक ऑनलाइन गेमिंग मामला नहीं, बल्कि एक संगठित आर्थिक अपराध है, जिसमें कई नामचीन चेहरे भी शामिल हो सकते हैं.

    नाबालिगों को भी रोकने का कोई सिस्टम नहीं

    ईडी की जांच में सामने आया कि जिस ऐप प्रोबो (Probo) को लेकर सबसे ज्यादा सवाल उठे हैं, वो एक स्किल-बेस्ड गेमिंग ऐप के रूप में खुद को पेश करता रहा है, लेकिन अंदर से वो पूरी तरह सट्टेबाजी से जुड़ा हुआ था. कंपनी—Probo Media Technologies Pvt. Ltd.—और इसके प्रमोटर सचिन सुभाषचंद्र गुप्ता और आशीष गर्ग के खिलाफ हरियाणा और यूपी में एफआईआर पहले से दर्ज थीं. ईडी ने गुरुग्राम और जींद स्थित कंपनी के चार ठिकानों पर छापेमारी की और करोड़ों की संपत्तियां जब्त कर लीं.

    जांच में यह भी खुलासा हुआ कि इस ऐप पर यूजर्स को “हां या नहीं” जैसे सवालों के जरिए दांव लगाने के लिए उकसाया जाता था. जैसे: “क्या इंडिया ये क्रिकेट मैच जीतेगा?”, “क्या फलां नेता चुनाव जीतेगा?” ऐसे सवालों से शुरुआत होती थी और फिर यूजर्स को बड़ी रकम इन्वेस्ट करने के लिए बरगलाया जाता था.

    खास बात यह है कि इन ऐप्स में नाबालिगों को भी रोकने का कोई सिस्टम नहीं था. न केवाईसी, न कोई वेरिफिकेशन. ऊपर से इंस्टाग्राम, यूट्यूब और सोशल मीडिया पर ऐसे भ्रामक विज्ञापनों की भरमार थी, जिनमें बड़े-बड़े फिल्मी चेहरे इन ऐप्स की तारीफ करते नज़र आते थे.

    134.84 करोड़ रुपये का फंड

    ईडी की छानबीन से पता चला कि प्रोबो को मॉरीशस, केमैन आइलैंड जैसे टैक्स हेवन देशों की कंपनियों से भी निवेश मिला था. कुल 134.84 करोड़ रुपये का फंड विदेशी संस्थाओं के जरिए ऐप में डाला गया था. छापेमारी के दौरान ईडी को कई संदिग्ध दस्तावेज, डिजिटल डेटा, 284.5 करोड़ रुपये की एफडी, शेयरों में निवेश और तीन बैंक लॉकर भी मिले हैं.

    इन तमाम खुलासों के बीच फिल्म इंडस्ट्री की साख पर भी सवाल खड़े हो गए हैं. प्रमोशन के नाम पर सट्टेबाजी जैसे नाजायज़ धंधों को बढ़ावा देना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि उस जनता के साथ भी धोखा है जो इन सितारों को अपना रोल मॉडल मानती है.

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