सुप्रीम कोर्ट की ओर से ट्रंप को मिला फ्री हैंड, किसी को भी देश से निकाल पाएंगे अमेरिकी राष्ट्रपति

    अमेरिका की सर्वोच्च अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादास्पद इमिग्रेशन नीति को लेकर एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने देशभर में बहस छेड़ दी है.

    US Immigration supreme court gave permission to approve in immigration policy
    Image Source: Social Media

    अमेरिका की सर्वोच्च अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादास्पद इमिग्रेशन नीति को लेकर एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने देशभर में बहस छेड़ दी है. इस निर्णय के तहत अब संघीय एजेंटों को अधिक अधिकार मिल गए हैं, जिससे वे अवैध प्रवासियों पर सीधी कार्रवाई कर सकते हैं.

    हालांकि, कोर्ट ने यह शर्त रखी है कि अगर जांच के दौरान यह स्पष्ट हो जाए कि व्यक्ति अमेरिका का नागरिक है या वैध दस्तावेजों के साथ देश में रह रहा है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए.

    कानून के नाम पर कार्रवाई या नस्लीय भेदभाव?

    इस फैसले के बाद ट्रंप प्रशासन को उन छापों और गिरफ्तारियों को आगे बढ़ाने की खुली छूट मिल गई है, जो उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में शुरू की थीं. अब वे अधिकारियों को सीधे तौर पर आदेश दे सकते हैं कि वे संदिग्ध प्रवासियों को बिना लंबी पूछताछ के हिरासत में लें और उन्हें निर्वासित करें.हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ब्रेट कावानॉ ने स्पष्ट किया कि केवल जातीय पहचान या भाषा के आधार पर किसी को संदिग्ध मानना उचित नहीं होगा. लेकिन यदि ऐसी जानकारी अन्य तथ्यों के साथ मेल खाती है, तो उसे कार्रवाई में शामिल किया जा सकता है.

    न्यायपालिका में मतभेद, चिंता की आवाजें भी उठीं

    जहां बहुमत ने इस नीति को हरी झंडी दी, वहीं कोर्ट की तीन उदारवादी महिला जजों ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया. जस्टिस सोनिया सोटोमयोर ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा "क्या अब हर लैटिनो नागरिक को भी अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी? यह हमारी आजादी पर एक गंभीर हमला है." उन्होंने अपने असहमति पत्र में लिखा कि इस तरह की नीति अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बना सकती है और अमेरिका में मूलभूत स्वतंत्रताओं को कमजोर करती है.

    ग्राउंड पर असर: परिवारों में डर, सड़कों पर विरोध

    इस फैसले का असर तुरंत जमीन पर दिखाई देने लगा है. लॉस एंजेलेस, ह्यूस्टन और मियामी जैसे इलाकों में प्रवासी समुदायों में भय का माहौल है. कई लोग अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं. बच्चों को स्कूल भेजना तक बंद कर दिया गया है. काम पर जाने में हिचकिचाहट महसूस हो रही है. कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं, जहां लोगों ने ‘नस्लीय प्रोफाइलिंग’ के खिलाफ आवाज बुलंद की.

    कानूनी लड़ाई जारी, क्लास एक्शन मुकदमे भी दाखिल

    इस नई नीति के खिलाफ जुलाई में कुछ प्रवासियों ने क्लास एक्शन मुकदमा दायर किया है. उनका आरोप है कि संघीय एजेंट नकाब पहनकर, भारी हथियारों से लैस होकर, और बिना वारंट के लोगों को रोक रहे हैं. एक पीड़ित जेसन गविडिया का दावा है कि उसने अमेरिकी नागरिक होने के सबूत पेश किए, लेकिन फिर भी उसे हिरासत में लिया गया. "यह गिरफ्तारी नहीं, दिन-दहाड़े अपहरण जैसा था," - क्लास एक्शन में कहा गया.

    यह भी पढ़ें: हवा से वार करेगा Ghost Bat!ऑस्ट्रेलिया का डेडली ड्रोन कितना खतरनाक? जानें ताकत