भारत का ये पड़ोसी देश प्लास्टिक कचरे से बना रहा पेट्रोल, कैसे काम करती है ये तकनीक? जानें इसके फायदे

    अब तक प्लास्टिक को रिसायकल या ईंधन में बदलना जटिल, महंगा और समय लेने वाला काम था, खासकर जब बात मिक्स्ड प्लास्टिक वेस्ट की हो. लेकिन यह पहली बार है जब किसी तकनीक ने अलग-अलग तरह के प्लास्टिक को इतनी आसानी और एफिशिएंसी के साथ एक ही बार में पेट्रोल में बदला है.

    U.S. and Chinese scientists convert plastic waste into petrol in a single step
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    नई दिल्ली: हर दिन बढ़ता प्लास्टिक कचरा अब सिरदर्द बनता जा रहा है. लेकिन इस बार खबर कुछ राहत देने वाली है. अमेरिका और चीन के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक ऐसी तकनीक इजाद की है जो प्लास्टिक के जहरीले कचरे को सीधे पेट्रोल में बदल सकती है वो भी बिना किसी भारी मशीन या ज्यादा ऊर्जा खर्च किए. यह तकनीक 95% तक प्रभावी साबित हुई है और कमरे के तापमान पर ही काम करती है.

    पहली बार मिक्स्ड प्लास्टिक को मिला हल

    अब तक प्लास्टिक को रिसायकल या ईंधन में बदलना जटिल, महंगा और समय लेने वाला काम था, खासकर जब बात मिक्स्ड प्लास्टिक वेस्ट की हो. लेकिन यह पहली बार है जब किसी तकनीक ने अलग-अलग तरह के प्लास्टिक को इतनी आसानी और एफिशिएंसी के साथ एक ही बार में पेट्रोल में बदला है.

    कैसे काम करता है यह सिस्टम?

    वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक कचरे को एक खास हाइड्रोकार्बन लाइट आइसोएल्केन के साथ मिलाया. 30°C पर सॉफ्ट PVC पाइप्स 95% तक पेट्रोल में बदले. हार्ड PVC और वायर जैसे कचरे 99% तक बदल गए. मिक्स्ड प्लास्टिक के मामले में 80°C पर 96% तक कचरा पेट्रोल में तब्दील हो गया. सिर्फ पेट्रोल ही नहीं, कई उपयोगी रसायन भी बनते हैं. इस प्रोसेस से पेट्रोल के अलावा हाइड्रोक्लोरिक एसिड और अन्य केमिकल्स भी मिलते हैं, जो जल शुद्धिकरण, दवा उद्योग, फूड प्रोसेसिंग और पेट्रोलियम सेक्टर जैसे कई क्षेत्रों में उपयोगी होते हैं.

    सर्कुलर इकॉनमी की दिशा में बड़ा कदम

    इस खोज को वैज्ञानिक सर्कुलर इकॉनमी को आगे बढ़ाने वाली मानते हैं, जहां कचरा अब बोझ नहीं बल्कि संसाधन बन जाता है. इस रिसर्च में अमेरिका, चीन और जर्मनी के प्रमुख संस्थानों जैसे PNNL, कोलंबिया यूनिवर्सिटी और टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख के वैज्ञानिक शामिल रहे.

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