UP News: उत्तर प्रदेश की पहचान अब सिर्फ विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर तक सीमित नहीं रहेगी. अब हर शहर को हरा-भरा और सस्टेनेबल बनाने की ओर बड़ा कदम उठाया गया है. योगी सरकार ने एक नई शहरी हरित नीति (Urban Green Policy) को हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत प्रदेश के सभी छोटे-बड़े शहरों की ग्रीन सिटी रैंकिंग तय की जाएगी. यानी अब शहरों की पहचान उनकी हरियाली और पर्यावरण के प्रति किए जा रहे कार्यों के आधार पर बनेगी.
ग्रीन स्टार रेटिंग से तय होगा शहरों का दर्जा
इस नीति के अंतर्गत सरकार एक आधुनिक ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार कर रही है, जो हर शहर की हरियाली, प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों को ट्रैक करेगा. प्रदर्शन के आधार पर शहरों को ग्रीन, ग्रीन , ग्रीन और ग्रीन जैसी रैंकिंग दी जाएगी. अगर कोई शहर 25% से अधिक हरियाली और 80% से अधिक स्कोर हासिल करता है, तो उसे ग्रीन प्लस की रेटिंग दी जाएगी. और जो शहर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा, उसे 'अल्टीमेट ग्रीन सिटी अवॉर्ड' मिलेगा.
प्रदूषण पर लगेगा ब्रेक
लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और आगरा जैसे प्रदूषित शहरों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 2026 तक 40% तक प्रदूषण कम करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए नए भवनों में ग्रीन बिल्डिंग मानदंडों को अनिवार्य किया जाएगा. साथ ही बड़े स्तर पर पौधरोपण अभियान चलाए जाएंगे जिसमें आधुनिक तकनीक जैसे मियावाकी पद्धति का इस्तेमाल होगा. हरियाली को जमीनी हकीकत में बदलने के लिए योजना तीन स्तरों पर लागू होगी — शहर, मोहल्ला और इमारत स्तर पर. शहरों में वर्टिकल गार्डन, ग्रीन बेल्ट, स्पॉन्ज पार्क, और हरित मेले जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. पहले चरण में यह नीति बड़े शहरों और महानगरों में लागू होगी, दूसरे चरण में एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में और 2030 के बाद यह पूरे उत्तर प्रदेश में लागू की जाएगी.
एक हरित उत्तर प्रदेश की ओर कदम
नगर विकास विभाग के सचिव अमृत अभिजात ने कहा कि यह नीति यूपी को भारत का सबसे हरित राज्य बनाने की दिशा में एक मजबूत और प्रभावशाली कदम है. इससे न सिर्फ पर्यावरण में सुधार होगा, बल्कि लोगों की जीवनशैली भी अधिक स्वस्थ, स्वच्छ और सस्टेनेबल बनेगी.
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