UP News: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश के शहरी विकास को नई दिशा देने के लिए एक महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी फैसला लिया है. इस नए नियम के तहत अब प्रदेश के शहरों में आवासीय मकानों के साथ व्यावसायिक दुकानें बनाना पूरी तरह से वैध हो जाएगा. साथ ही छोटे भूखंडों पर नक्शा पास कराने की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी गई है. यह पहल न केवल आम नागरिकों के लिए निर्माण प्रक्रिया को सरल बनाएगी बल्कि शहरी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगी. आइए विस्तार से जानते हैं इस नीति के तहत क्या-क्या बदलाव होंगे और यह नीति शहरी विकास को किस तरह प्रभावित करेगी.
घर के साथ दुकान खोलने की अनुमति
उत्तर प्रदेश सरकार ने अब 10 लाख से अधिक आबादी वाले बड़े शहरों में 24 मीटर चौड़ी सड़कों तथा अन्य छोटे शहरों में 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर आवासीय भवनों के साथ दुकान खोलने की मंजूरी दे दी है. इससे पहले यह नियम सख्त था और शहरी विकास के लिए कड़ी शर्तें लगाई जाती थीं. लेकिन अब यह बाधा खत्म हो गई है. साथ ही अब 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर शॉपिंग मॉल के निर्माण की भी अनुमति दी गई है, जो कि स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देगा और रोजगार सृजन के अवसर बढ़ाएगा.
छोटे प्लॉट पर नक्शा पास कराने की शर्त खत्म
नए नियमों के तहत 100 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 30 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों पर नक्शा पास कराने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है. अब इन भूखंडों के लिए केवल विकास प्राधिकरण में पंजीकरण कराना होगा, जिससे लोगों को नक्शा पास कराने के लिए लंबी प्रक्रिया और भद्दी वसूली से छुटकारा मिलेगा. यह बदलाव छोटे प्लॉट मालिकों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा, जो पहले नक्शा पास कराने के लिए कई तरह की जटिलताओं से गुजरते थे.
स्वचालित नक्शा स्वीकृति, विकास को मिलेगी गति
सरकार ने स्वीकृत ले-आउट क्षेत्रों में 500 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 200 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों के लिए ऑनलाइन दाखिल नक्शों को विश्वास के आधार पर स्वतः स्वीकृत करने का प्रावधान भी लागू किया है. इसके अलावा, 300 वर्ग मीटर तक के एकल आवासीय भवनों के लिए भी नक्शा स्वतः अनुमोदित माना जाएगा, बशर्ते कि सभी शुल्क और आवश्यक कागजात जमा कराए गए हों. यह नीति शहरी विकास की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने में सहायक होगी और सरकारी तंत्र में पारदर्शिता भी लाएगी.
ऊंची इमारतों और शॉपिंग मॉल के लिए नए अवसर
इस नई नीति का एक और महत्वपूर्ण पहलू फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) की सीमा में वृद्धि है. 45 मीटर चौड़ी सड़कों पर एफएआर की पूरी सीमा को हटा दिया गया है, जिससे बड़े और ऊंचे भवनों का निर्माण आसान हो जाएगा. इसके साथ ही छोटे भूखंडों के लिए एफएआर बढ़ाकर 2.5 कर दिया गया है, जो पहले 2.25 था. ग्रीन-रेटेड यानी पर्यावरण के अनुकूल भवनों के लिए अतिरिक्त मुफ्त एफएआर भी प्रदान किया जाएगा. इससे शहरी इलाकों में आधुनिक और बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा.
पेशेवरों के लिए विशेष छूट, घर से चलेंगे ऑफिस
नई नीति में आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, चिकित्सक और अधिवक्ता जैसे पेशेवरों के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं. अब ये पेशेवर अपने आवास के 25 प्रतिशत हिस्से को कार्यालय के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे, बशर्ते वहां पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था हो. इसके लिए उन्हें अलग से नक्शा पास कराने की आवश्यकता नहीं होगी. इससे छोटे व्यवसायियों को ऑफिस खोलने में सुविधा मिलेगी. इसके अलावा नर्सरी, क्रैच और होमस्टे संचालन के लिए भी यह छूट लागू की गई है.
पार्किंग की समस्या पर सरकार की नई रणनीति
शहरी इलाकों में पार्किंग की समस्या को देखते हुए सरकार ने पोडियम पार्किंग और मैकेनाइज्ड ट्रिपल-स्टैक पार्किंग की भी अनुमति दी है. 4000 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों के लिए अलग पार्किंग ब्लॉक बनाए जाएंगे. चिकित्सालयों के लिए एम्बुलेंस पार्किंग, स्कूलों के लिए बस पार्किंग और पिक-एंड-ड्रॉप जोन की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है. ग्रुप हाउसिंग के लिए भूखंड का न्यूनतम क्षेत्रफल भी घटाकर बनाया गया है, जिससे बड़े आवासीय परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस नीति को शहरीकरण को गति देने वाला अहम कदम बताया है. उनका कहना है कि प्रदेश के शहरों को आधुनिक, व्यवस्थित और लोगों के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए यह नीति अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस नई व्यवस्था से न केवल आवासीय निर्माण आसान होगा बल्कि व्यावसायिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार और आर्थिक विकास को नया पंख मिलेगा.
ये भी पढ़ें: योगी सरकार का मिशन रोजगार, हर साल लाखों युवाओं को मिलेगी नौकरी, 30 हजार जाएंगे विदेश