लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने और शिक्षकों को आधुनिक तकनीकी दृष्टिकोण से सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है. इस दिशा में समाज कल्याण विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है. शुक्रवार को, टीसीएस-सीएसआर स्कूल प्रोग्राम टीम के सहयोग से जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय के शिक्षकों के लिए एक वर्चुअल सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर फोकस किया गया.
AI का शिक्षण क्षेत्र में महत्व
इस वर्चुअल सत्र का उद्देश्य शिक्षकों को AI आधारित तकनीकों से अवगत कराना और उन्हें समझाना था कि कैसे इन तकनीकों को कक्षा में प्रयोग किया जा सकता है. सत्र के दौरान, शिक्षकों को AI के मूल सिद्धांतों के साथ-साथ इसके शिक्षण कार्य में व्यवहारिक इस्तेमाल के बारे में भी जानकारी दी गई. साथ ही, AI के माध्यम से शिक्षा और संस्थाओं में क्या बदलाव आ सकते हैं, इस पर भी चर्चा हुई. इसके अलावा, एनसीईआरटी द्वारा प्रस्तावित AI पाठ्यक्रम की संरचना और उसके दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला गया.
नवीनतम तकनीकों से शिक्षकों को जोड़ने की पहल
इस कार्यक्रम का आयोजन समाज कल्याण विभाग की तरफ से किया गया था, ताकि प्रदेश के शिक्षकों को तकनीकी दृष्टि से प्रशिक्षित किया जा सके. टीसीएस-सीएसआर टीम के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में, शिक्षकों को कई ऐसे ऐप्स और टूल्स के बारे में बताया गया, जो उनके शिक्षण कार्य को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं. शिक्षकों ने इस सत्र को बहुत सराहा और कहा कि ऐसे सत्र उनकी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं. इसके अलावा, यह भी बताया गया कि भविष्य में ऐसे और सत्र आयोजित किए जाएंगे ताकि सभी शिक्षक तकनीकी दृष्टिकोण से सक्षम हो सकें.
CM के दिशा-निर्देशों पर काम कर रही सरकार
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देशों पर समाज कल्याण राज्यमंत्री असीम अरुण ने एआई जैसी उभरती तकनीकों को शिक्षा से जोड़ने और युवाओं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के प्रयासों को और भी मजबूती से बढ़ावा दिया है. इसके अलावा, विभागीय अधिकारियों को मासिक लेक्चर और कार्यशालाओं के लिए निर्देश दिए गए हैं, ताकि ये नई तकनीकें शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक प्रभावी ढंग से इस्तेमाल हो सकें.
प्रदेशभर में सर्वोदय विद्यालयों का संचालन
प्रदेश में 109 सर्वोदय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है, जो विशेष रूप से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान करते हैं. यह प्रयास समाज कल्याण विभाग के द्वारा तकनीकी शिक्षा में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में और भी बेहतर परिणाम लाएगा.
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