Ukraine की सड़कों पर उतरे हजारों लोग; जेलेंस्की के खिलाफ खोला मोर्चा; जानें क्या है कारण?

    यूक्रेन में इन दिनों एक बड़ा राजनीतिक उबाल देखने को मिल रहा है. राजधानी कीव और अन्य प्रमुख शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं, हाथों में तख्तियां लेकर और नारे लगाते हुए. वजह? देश में हाल ही में पारित हुआ एक नया विवादित कानून, जिसे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने संसद से मंजूरी दे दी है.

    Ukrainian People Protesting Against President Zelensky Over Anti Corruption Law
    Ukraine की सड़कों पर उतरे हजारों लोग

    यूक्रेन में इन दिनों एक बड़ा राजनीतिक उबाल देखने को मिल रहा है. राजधानी कीव और अन्य प्रमुख शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं, हाथों में तख्तियां लेकर और नारे लगाते हुए. वजह? देश में हाल ही में पारित हुआ एक नया विवादित कानून, जिसे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने संसद से मंजूरी दे दी है. इस कानून को लेकर जनता के बीच गहरी नाराजगी है, और यह सवाल उठने लगा है कि क्या जेलेंस्की इस कानून के जरिए भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओं की स्वतंत्रता को खतरे में डाल रहे हैं?

    22 जुलाई 2025 को यूक्रेन की संसद ने एक कानून को तेजी से पारित किया, जिसे राष्ट्रपति जेलेंस्की ने उसी दिन मंजूरी भी दे दी. इस कानून के तहत, यूक्रेन की नेशनल एंटी करप्शन ब्यूरो (NABU) और स्पेशल एंटी करप्शन प्रॉसीक्यूटर ऑफिस (SAPO) को अब अटॉर्नी जनरल के अधीन कर दिया गया है.

    विवादित कानून का क्या है मसला?

    यह वही अटॉर्नी जनरल का पद है, जिसे राष्ट्रपति खुद नियुक्त करते हैं. इसका मतलब है कि अब इन भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओं की स्वतंत्रता समाप्त हो गई है, और वे राष्ट्रपति के नियंत्रण में आ गई हैं. यही कारण है कि आम लोग, राजनेता, और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता इस कदम को तानाशाही की ओर बढ़ा हुआ कदम मान रहे हैं.

    जेलेंस्की का तर्क और जनता की नाराजगी

    राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इस कानून के पक्ष में यह तर्क दिया कि यह कदम रूस की अंदरूनी घुसपैठ को रोकने के लिए आवश्यक था. उनका कहना था कि इन भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओं में रूसी एजेंटों की मौजूदगी से देश की सुरक्षा खतरे में थी. हालांकि, आलोचक इस तर्क से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि यह कानून सिर्फ जेलेंस्की के करीबी लोगों के खिलाफ चल रही भ्रष्टाचार की जांचों को रोकने का एक तरीका हो सकता है. उदाहरण के तौर पर, पूर्व प्रधानमंत्री ओलेक्सी चेनिर्शोव का नाम लिया जा रहा है, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. आलोचकों का आरोप है कि जेलेंस्की इस कानून के जरिए अपनी राजनीतिक ताकत को और बढ़ाना चाहते हैं और अपने साथियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

    क्या जेलेंस्की की कुर्सी खतरे में है?

    यूक्रेन में ‘सर्वेंट ऑफ द पीपल’ पार्टी को संसद में बहुमत प्राप्त है, और युद्धकाल में चुनावों पर रोक होने की वजह से फिलहाल राष्ट्रपति जेलेंस्की का सत्ता में बने रहना तय नजर आता है. लेकिन, अगर जनता का विश्वास हिलता है तो स्थिति बदल सकती है. एक ताजा सर्वे के अनुसार, जेलेंस्की की लोकप्रियता 65 फीसदी तक पहुंच चुकी है, जो पहले की तुलना में कम है, लेकिन फिर भी मजबूत मानी जाती है. हालांकि, इस विरोध को देखते हुए, जेलेंस्की ने यह वादा किया है कि वह जल्द ही कानून में सुधार करेंगे, ताकि लोगों की नाराजगी को शांत किया जा सके.

    भ्रष्टाचार का ऐतिहासिक असर

    यूक्रेन के इतिहास में भ्रष्टाचार हमेशा एक संवेदनशील मुद्दा रहा है. 2013-14 में, इसी मुद्दे ने देश को एक बड़े आंदोलन का शिकार बना दिया था, जिसके परिणामस्वरूप विक्टर यानुकोविच को सत्ता से बाहर होना पड़ा था. यह आंदोलन उस समय भ्रष्टाचार और सत्ता के गलत इस्तेमाल के खिलाफ था. अब, जब यूक्रेन यूरोपीय संघ और नाटो जैसी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा है, तो भ्रष्टाचार से जुड़ी कोई भी घटना या खबर देश की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है. यूरोपीय नेता भी इस मामले में जेलेंस्की से जवाब मांग रहे हैं और उनका कहना है कि अगर इस कानून को लागू किया गया तो इसका असर यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय छवि पर पड़ेगा.

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