जिसे भेजना था जेल उसे मिल गई बेल... मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हुई ऐसी टाइपिंग मिस्टेक, जानें फिर क्या हुआ

    MP High Court Typing Mistake: मध्य प्रदेश के ग्वालियर बेंच में एक अजीबो-गरीब घटना सामने आई, जिसने अदालत और जेल प्रशासन दोनों को असमंजस में डाल दिया. एक मामूली टाइपिंग गलती के कारण हत्या के मामले में फंसा आरोपी रिहा हो गया.

    Typing error in MP High Court nearly freed accused judge issues corrected order
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    MP High Court Typing Mistake: मध्य प्रदेश के ग्वालियर बेंच में एक अजीबो-गरीब घटना सामने आई, जिसने अदालत और जेल प्रशासन दोनों को असमंजस में डाल दिया. एक मामूली टाइपिंग गलती के कारण हत्या के मामले में फंसा आरोपी रिहा हो गया, लेकिन ऐन वक्त पर जज के हस्तक्षेप ने इस गलती को पलट दिया. यह मामला कानूनी प्रक्रिया में छोटी सी चूक के बड़े असर का उदाहरण बन गया.

    जमानत आदेश में हुई उलटफेर

    7 अगस्त के एक आदेश में, हत्या के आरोपी पिता-पुत्र—हलके और अशोक—के जमानत फैसले दर्ज किए गए. असली आदेश के अनुसार, पिता हलके की जमानत खारिज और बेटे अशोक की जमानत मंजूर थी. लेकिन टाइपिंग के दौरान यह विवरण उलट गया. गलत आदेश अदालत की वेबसाइट पर अपलोड हो गया और यही से गड़बड़ी शुरू हुई.

    वकील की तेज़ चाल और जेल प्रशासन की कार्यवाही

    जैसे ही हलके के वकील अमीन खान ने इस आदेश को देखा, उन्होंने तुरंत अदालत की वेबसाइट से डाउनलोड किए गए दस्तावेज के आधार पर जमानत बांड दाखिल कर दिया. जेल अधिकारियों ने भी बिना देर किए उसी आदेश के अनुसार हलके को रिहा कर दिया.

    गलती का खुलासा और तत्काल सुधार

    यह राहत ज्यादा देर नहीं टिक पाई. अदालत के कर्मचारियों ने जल्द ही वकील को सूचित किया कि वेबसाइट पर मौजूद आदेश असली आदेश से मेल नहीं खाता. असल में, टाइपिंग की गलती के कारण नाम और फैसले उलट गए थे.

    जज का त्वरित हस्तक्षेप

    8 अगस्त की शाम करीब 6.30 बजे, जज राजेश कुमार गुप्ता ने आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया और सुधारित आदेश जारी किया. अगले दिन हुई सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि यह एक टाइपिंग एरर था, जिसे ठीक कर दिया गया है, ताकि न्याय प्रक्रिया में कोई भ्रम न रहे. 

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