Turkey Air Defense: जब बात एयर डिफेंस की हो, तो अक्सर इज़रायल के आयरन डोम की मिसाल दी जाती है. लेकिन अब इस तकनीकी रेस में तुर्की ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, और वो भी कुछ हटकर. तुर्की का ALKA हाइब्रिड एयर डिफेंस सिस्टम न सिर्फ दिखने में मॉडर्न है, बल्कि काम करने में भी किसी साइंस-फिक्शन फिल्म से कम नहीं लगता. यह सिस्टम दुश्मन के ड्रोन को लेज़र किरणों से सेकंडों में भस्म कर सकता है.
इसे जानिए, समझिए क्योंकि भविष्य की जंगें अब सिर्फ गोलियों से नहीं, बल्कि लाइट बीम्स से लड़ी जाएंगी.
दोहरी ताकत वाला ALKA
तुर्की की रक्षा तकनीक कंपनी Aselsan द्वारा तैयार किया गया ALKA सिस्टम दुनिया के पहले ऑपरेशनल हाइब्रिड डिफेंस सिस्टम्स में से एक है. इसमें दो टेक्नोलॉजी मिलकर काम करती हैं:
RF Jammer (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक अटैक): दुश्मन के ड्रोन का कंट्रोल सिस्टम और GPS सिग्नल जाम कर देता है, जिससे वो भटक जाता है.
हाई-पावर लेज़र वेपन: अगर ड्रोन जामिंग से भी न रुके, तो ALKA सीधा उस पर लेज़र दागता है, और उसे कुछ ही सेकंड में राख में बदल देता है.
ALKA हर समय तैयार
ALKA की खूबी सिर्फ उसकी तकनीक में नहीं, बल्कि उसकी लचीलापन (mobility) में भी है. चाहे ऊंचे पहाड़ हों, बर्फीला इलाका या रेगिस्तान – ALKA को ट्रक, बख्तरबंद गाड़ी या किसी स्थायी ठिकाने पर आसानी से लगाया जा सकता है. इसकी लेज़र रेंज 1.5 किमी तक है और डिटेक्शन क्षमता 5 किमी तक फैली हुई है. यानि खतरा नजर आते ही ALKA खुद ही पहचान कर जवाबी कार्रवाई शुरू कर देता है.
ड्रोन का काल
जहां बड़े मिसाइल सिस्टम्स में लाखों डॉलर खर्च होते हैं, वहीं ALKA को खासतौर पर लो-कॉस्ट ड्रोन खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है. छोटे कमर्शियल क्वाडकॉप्टर्स, स्वार्म अटैक्स और हल्के UAVs, सभी इसके निशाने पर हैं.
ALKA एक Direct Energy Weapon (DEW) भी है, यानी इसे बार-बार गोला-बारूद लोड करने की ज़रूरत नहीं, यह ऊर्जा से वार करता है. तेज़ प्रतिक्रिया, कम लागत और ज्यादा सुरक्षा, यही इसकी पहचान है.
क्या भारत को भी चाहिए ऐसा सिस्टम?
तेजी से बदलते युद्ध के तरीकों में लेज़र और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हथियारों की भूमिका बढ़ती जा रही है. ऐसे में सवाल उठता है, क्या भारत को भी ALKA जैसे सिस्टम्स की दिशा में निवेश करना चाहिए?
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