अंकारा: तुर्की ने समुद्री शक्ति और सैन्य आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपने पहले स्वदेशी एयर डिफेंस डिस्ट्रॉयर के निर्माण का औपचारिक ऐलान कर दिया है. यह युद्धपोत, जिसे TF-2000 नाम दिया गया है, न केवल तुर्की की नौसेना की क्षमताओं को आधुनिक बनाएगा, बल्कि इसे घरेलू रक्षा निर्माण में एक नया मुकाम भी माना जा रहा है. इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के अंतर्गत सरकारी रक्षा कंपनी ASFAT को डिस्ट्रॉयर और चार अतिरिक्त गश्ती जहाजों के निर्माण का ज़िम्मा सौंपा गया है.
इस घोषणा के साथ ही तुर्की ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब समुद्री सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता के मामले में किसी भी बाहरी देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता. यह वही तुर्की है, जो कभी यूरोपीय संघ की सैन्य छाया में खड़ा था, लेकिन अब अपनी दमदार भू-राजनीतिक स्थिति और तकनीकी नवाचारों के बल पर पूरी दुनिया में नौसेनिक ताकत के एक उभरते हुए केंद्र के रूप में देखा जा रहा है.
TF-2000: तुर्की की रणनीतिक सोच का प्रतीक
ब्रेकिंग डिफेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, TF-2000 डिस्ट्रॉयर का निर्माण करीब 60 मॉड्यूल ब्लॉकों में किया जाएगा. इस पूरे प्रोजेक्ट को 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है. निर्माण के इस चरणबद्ध ढांचे से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि तुर्की इस युद्धपोत को तकनीकी रूप से बेहद जटिल लेकिन मॉड्यूलर और लचीली संरचना देने जा रहा है, ताकि भविष्य में इसके विभिन्न वेरिएंट्स भी तैयार किए जा सकें.
जहाज की लंबाई 149 मीटर और चौड़ाई 21 मीटर होगी. इसमें 15-टन श्रेणी के हेलिकॉप्टर के लिए एक लैंडिंग प्लेटफॉर्म भी होगा, जिससे यह समुद्री अभियानों के दौरान हवाई सहायता भी दे सकेगा. इस जहाज को ऐसे समुद्री क्षेत्रों में काम करने के लिए तैयार किया जा रहा है, जहां लहरें 4 मीटर तक ऊंची हों यानी यह किसी भी मौसम और समुद्री स्थिति में फुल ऑपरेशन में बना रह सकेगा.
आधुनिक हथियारों से लैस होगा TF-2000
TF-2000 डिस्ट्रॉयर को तुर्की की सैन्य तकनीक का नायाब उदाहरण बनाने के लिए इसमें अत्याधुनिक हथियार और सेंसर सिस्टम लगाए जाएंगे:
ऐडवांस्ड रडार और निगरानी सिस्टम
इसके अलावा यह जहाज बिना किसी री-सप्लाई के लगातार 45 दिनों तक और किनारे से समर्थन लेकर 180 दिनों तक समुद्र में ऑपरेट कर सकेगा. यह इसकी रणनीतिक पहुंच और तैनाती क्षमताओं को काफी विस्तृत बनाता है. रिपोर्टों के अनुसार, इस जहाज की सेवा-आयु 40 वर्ष से अधिक होगी.
बहुआयामी अभियानों के लिए तैयार
TF-2000 को केवल एयर डिफेंस के लिए नहीं, बल्कि पनडुब्बी-रोधी, सतह-रोधी, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, आतंकवाद-रोधी अभियानों, खुफिया निगरानी और टोही (ISR) मिशनों के लिए भी तैयार किया जाएगा. यानी यह एक मल्टी-रोल डेस्ट्रॉयर होगा, जो तुर्की की समुद्री रणनीति में लचीलापन और सटीकता दोनों जोड़ देगा.
साथ ही बनेगा गश्ती पोतों का नया बेड़ा
TF-2000 के साथ-साथ, ASFAT कंपनी को चार नए गश्ती पोत (Patrol Boats) तैयार करने का भी ठेका मिला है. ये पोत तुर्की की Ada-क्लास कोरवेट डिजाइन पर आधारित होंगे और 100 मीटर लंबे व 14 मीटर चौड़े होंगे. इन जहाजों को S-70B सीहॉक हेलिकॉप्टरों को ऑपरेट करने की क्षमता भी दी जाएगी. ये गश्ती पोत 21 दिनों तक लगातार ऑपरेशन में बने रह सकते हैं और 4,500 नॉटिकल मील तक की दूरी तय करने में सक्षम होंगे.
इन पोतों में भी निम्नलिखित अत्याधुनिक तकनीकें होंगी:
पाकिस्तान को क्यों है खुशी?
तुरंत प्रतिक्रिया में पाकिस्तान के रक्षा हलकों में इस प्रोजेक्ट को लेकर खुशी और उत्सुकता दोनों देखी जा रही है. तुर्की और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग पहले से मजबूत रहा है. जब भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की तैयारी की थी, उसी समय तुर्की ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर अपना युद्धपोत भेजकर एक कूटनीतिक संदेश भी दिया था.
अब जबकि तुर्की आधुनिक युद्धपोत निर्माण की दिशा में आत्मनिर्भर होता जा रहा है, तो इसमें पाकिस्तान की प्रौद्योगिकी साझेदारी या भविष्य के रक्षा सौदे की संभावना भी प्रबल हो गई है. पाकिस्तान के लिए यह प्रोजेक्ट एक सीखने और तकनीकी हस्तांतरण का अवसर भी हो सकता है.
अंतरराष्ट्रीय रक्षा बाजार में तुर्की की नई पहचान
विशेषज्ञ मानते हैं कि TF-2000 और अन्य Hisar-क्लास जहाजों का निर्माण तुर्की को न केवल घरेलू स्तर पर, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भी एक मज़बूत खिलाड़ी बना देगा. कई अफ्रीकी और एशियाई देश पहले ही तुर्की के ड्रोन, कोरवेट और हल्के टैंकों की तकनीक में दिलचस्पी दिखा चुके हैं. अब TF-2000 जैसे प्रोजेक्ट से तुर्की की पहचान एक ग्लोबल डिफेंस इकोसिस्टम के तौर पर और मजबूत होगी.
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