अंकारा/नई दिल्ली: भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद तुर्की और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग तेज़ी से बढ़ा है. क्षेत्रीय संतुलन को प्रभावित करने वाली इस साझेदारी के तहत तुर्की, पाकिस्तान को न केवल ड्रोन तकनीक, बल्कि पनडुब्बियों, युद्धपोतों और मिसाइल प्रणालियों जैसी उन्नत सैन्य क्षमताएं उपलब्ध करा रहा है.
ड्रोन और यूएवी तकनीक पर फोकस
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने तुर्की से 80 ‘KARGI’ लोइटरिंग म्युनिशन खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है. ये ड्रोन न केवल दुश्मन के रडार सिस्टम को भेद सकते हैं, बल्कि 500 नॉटिकल मील की रेंज में घातक हमले करने में सक्षम हैं. हर ड्रोन में 18 किलो विस्फोटक क्षमता है और ये 15,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं.
इसके अलावा तुर्की ने बिना औपचारिक रक्षा अनुबंध के ही पाकिस्तान को 50 YIHA UAV पहले ही सौंप दिए हैं, जो ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस) मिशनों के लिए प्रयोग में लाए जा रहे हैं.
नौसैनिक सहयोग में भी बड़ा विस्तार
तुर्की-पाकिस्तान रक्षा संबंध सिर्फ ड्रोन तक सीमित नहीं हैं. तुर्की ने पाकिस्तान की नौसेना को मजबूत करने के लिए MILGEM-क्लास कोरवेट्स की आपूर्ति का एक $1.5 बिलियन का करार किया है. साथ ही पाकिस्तान की Agosta-90B पनडुब्बियों को अपग्रेड करने में भी मदद की जा रही है.
तुर्की का झुकाव पाकिस्तान की ओर क्यों बढ़ रहा?
दोनों देशों के बीच बढ़ती निकटता का आधार सिर्फ रक्षा नहीं, बल्कि भूराजनीतिक और वैचारिक गठजोड़ भी है. कश्मीर पर तुर्की की पाकिस्तान-समर्थक बयानबाज़ी हो या ग्रीस और साइप्रस जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान का तुर्की का समर्थन — यह सहयोग बहुपक्षीय मोर्चों तक फैल चुका है.
2020–2024 के बीच तुर्की से पाकिस्तान को हथियार निर्यात में 103% की वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे तुर्की अब चीन के बाद पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया है.
'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान मिली तुर्की की सैन्य मदद
सूत्रों के अनुसार, भारत द्वारा हाल में किए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को सक्रिय समर्थन दिया. इसमें Bayraktar TB2, YIHA और Songar ड्रोन की तैनाती शामिल थी. खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, तुर्की के सैन्य ऑपरेटिव भी सीमावर्ती क्षेत्रों में रियल-टाइम सैन्य कार्रवाई में शामिल थे. कुछ रिपोर्टों में यह भी सामने आया कि भारतीय जवाबी कार्रवाई में कम से कम दो तुर्की ऑपरेटिव मारे गए.
भारत की प्रतिक्रिया: सहयोग, तकनीक और निगरानी
तुर्की-पाकिस्तान की सैन्य निकटता को देखते हुए भारत ने कई मोर्चों पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है:
स्वदेशी UAV और UCAV प्रोग्राम को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है, जिसमें DRDO, HAL और प्राइवेट सेक्टर की प्रमुख भूमिका है.
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