किसी के सगे नहीं एर्दोगन! अपने ही दोस्त सीरिया पर कर दी एयरस्ट्राइक; SDF के ठिकानों पर की बमबारी

    Turkey and Syria: हाल ही में सीरिया में शांति की उम्मीदों को झटका लगा, जब सोमवार को उत्तरी अलेप्पो में तुर्की द्वारा की गई भीषण बमबारी ने एक बार फिर पूरे इलाके को अशांति की चपेट में ले लिया. यह हमला इजराइल के बजाय तुर्की की ओर से किया गया.

    Turkey airstrikes on sdf sites aleppo in syria
    किसी के सगे नहीं एर्दोगन! अपने ही दोस्त सीरिया पर कर दी एयरस्ट्राइक

    Turkey and Syria: हाल ही में सीरिया में शांति की उम्मीदों को झटका लगा, जब सोमवार को उत्तरी अलेप्पो में तुर्की द्वारा की गई भीषण बमबारी ने एक बार फिर पूरे इलाके को अशांति की चपेट में ले लिया. यह हमला इजराइल के बजाय तुर्की की ओर से किया गया, और इसका निशाना सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) के ठिकाने थे. जबकि इजराइल और सीरिया के बीच सीजफायर की स्थिति बनी हुई थी, तुर्की के हमले ने सीरिया के संकट को और बढ़ा दिया है.

    तुर्की की बमबारी का मुख्य कारण सीरिया के YPG (कुर्द लड़ाकों का गुट) से जुड़ा है. YPG, जो सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) का हिस्सा है, तुर्की के लिए एक बड़ा सुरक्षा खतरा माना जाता है, क्योंकि यह PKK (कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी) का सहयोगी है, जिसे तुर्की, अमेरिका और यूरोपीय संघ आतंकवादी संगठन मानते हैं.

    तुर्की का हमला क्यों?

    तुर्की का लक्ष्य है कि सीरिया के भीतर लगभग 30 किलोमीटर तक के इलाके को SDF से खाली कराया जाए, ताकि उसे एक सुरक्षित क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सके, जिसमें सीरियाई शरणार्थियों को बसाया जा सके. इसके अलावा, तुर्की SDF पर हमला करके अमेरिका पर दबाव भी बनाना चाहता है, क्योंकि अमेरिका ने हमेशा SDF का समर्थन किया है और ISIS से मुकाबला करने के लिए उन्हें सहयोग और हथियार भी दिए हैं.

    तुर्की के नियमित हमले और सीरिया की स्थिति

    तुर्की की ओर से SDF या YPG पर हमले करना कोई नई बात नहीं है. तुर्की अक्सर रॉकेट्स और ड्रोन के जरिए इन हमलों को अंजाम देता है, और इन हमलों को आत्मरक्षा के रूप में पेश करता है. हालांकि, इस बार हमला सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के शासन से हटने के बाद किया गया है, और सीरिया में इस समय अहमद अल शरा का शासन है, जो पहले HTS (हयात तहरीर अल-शाम) का प्रमुख था.मध्य-पूर्व के विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही तुर्की ने सीरिया के तख्तापलट में सीधे तौर पर भाग नहीं लिया, लेकिन HTS को समर्थन देने और अहमद अल शरा को राष्ट्रपति बनाने में उसने पर्दे के पीछे सक्रिय भूमिका निभाई है.

    अलेप्पो पर हमला और शांति की उम्मीदें

    सीरिया में तुर्की द्वारा की गई यह बमबारी शांति की उस प्रक्रिया को बाधित करती है, जिसे इजराइल और सीरिया के बीच हुए सीजफायर ने बढ़ावा दिया था. हालांकि दोनों देशों के बीच शांति के कुछ संकेत थे, तुर्की का यह हमला एक और संघर्ष को जन्म दे सकता है, जिससे सीरिया के भीतर के विवाद और जटिल हो जाएंगे. अब देखना यह होगा कि सीरिया के विभिन्न गुट इस स्थिति का किस तरह से सामना करते हैं और तुर्की और अमेरिका के बीच यह खींचतान किस दिशा में आगे बढ़ती है. एक बात साफ है, सीरिया में शांति की राह अब और भी कठिन हो गई है, और क्षेत्रीय शक्तियों के बीच यह संघर्ष अनवरत जारी रहेगा.

    यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत का बाल भी बांका नहीं कर पाया पाकिस्तान! हथियारों की खुली पोल