वॉशिंगटन/तेल अवीव: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्य पूर्व में उभरती एक नई अशांति को लेकर कड़ा संदेश जारी किया है. उन्होंने इजरायल को चेतावनी दी है कि वह ईरान पर हमला करने से बाज आए. ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर कहा, “इजरायल, वे बम मत गिराओ. अगर तुम ऐसा करते हो, तो यह बड़ा उल्लंघन होगा. अपने पायलटों को तुरंत घर बुलाओ.”
यह बयान उस वक्त आया है जब ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों से चल रहे सैन्य तनाव को रोकने के लिए अमेरिका की मध्यस्थता में युद्धविराम लागू किया गया था. लेकिन कुछ ही घंटों के भीतर दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले करने के आरोप लगाए, जिससे संघर्षविराम की स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.
क्या फिर छिड़ेगा नया युद्ध?
ट्रंप ने हेग में नाटो शिखर सम्मेलन के लिए रवाना होने से पहले पत्रकारों से कहा, “मैं ईरान से खुश नहीं हूं, लेकिन इस बार मैं इजरायल से वास्तव में नाखुश हूं. समझौते के तुरंत बाद उन्होंने हमला कर दिया.” उन्होंने इशारा किया कि इजरायल ने युद्धविराम की शर्तों को दरकिनार करते हुए कार्रवाई की शुरुआत की.
ट्रंप ने दावा किया कि “ईरान की परमाणु क्षमताएं अब लगभग समाप्त हो चुकी हैं”, जिससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका अब सीधे सैन्य टकराव से बचना चाहता है और क्षेत्र में शांति को प्राथमिकता देना चाहता है.
समझौता था, लेकिन फिर भी हुए हमले
इजरायल और ईरान ने कुछ दिन पहले ट्रंप के प्रस्ताव पर एक सीमित संघर्षविराम को स्वीकार किया था. उद्देश्य था, क्षेत्र में तनाव को घटाकर राजनीतिक समाधान की ओर बढ़ना. लेकिन ईरान द्वारा कतर स्थित अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइल दागे जाने के बाद हालात फिर बिगड़ गए.
इसके बाद:
क्या इजरायल-ईरान युद्ध को रोक पाएगा अमेरिका?
डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे हस्तक्षेप कर इजरायल को चेताया है कि अगर वह ईरान पर और बम गिराता है, तो यह अमेरिका द्वारा तय की गई संधि का घोर उल्लंघन होगा. उन्होंने पायलटों को तत्काल वापस बुलाने की मांग करते हुए इसे एक "लाल रेखा" बताया है.
इस बयान से स्पष्ट है कि अमेरिका फिलहाल इस टकराव को और भड़कते देखने के पक्ष में नहीं है. ट्रंप की सख्त चेतावनी इजरायल के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव का संकेत है.
ईरान का दावा- हमारा कार्यक्रम शांतिपूर्ण है
इजरायल ने हालिया हमलों को ईरान के कथित परमाणु कार्यक्रम से जोड़ा है. उसका दावा है कि ईरान चुपचाप परमाणु बम बना रहा है, और इसलिए इन “रक्षात्मक हमलों” की जरूरत पड़ी.
वहीं ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय निगरानी में है.
पिछले हफ्तों में इजरायल ने कई बार ईरानी परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया और वैज्ञानिकों पर हमले किए. यह दोनों देशों के बीच के तनाव को और बढ़ाने वाला कदम माना गया.
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