ओडिशा के मयूरभंज जिले के केसापाड़ा गांव में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने न केवल समाज के रीति-रिवाजों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि मानवता और संवेदनाओं की सीमाएं भी उजागर कर दी हैं. यहां सिर्फ इसलिए एक परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया क्योंकि उन्होंने अपने दिवंगत पिता के अंतिम संस्कार में पारंपरिक शराब 'हंडिया' परोसने से इनकार कर दिया.
हंडिया नहीं दी, तो गांव ने कर दिया अलग
घटना सरात थाना क्षेत्र की है, जहां संथाल समुदाय से आने वाले राम सोरेन की मृत्यु के बाद उनके बेटे संग्राम ने पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया. लेकिन भोज में हंडिया नहीं परोसी गई. यही बात गांव वालों को इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने संग्राम के पूरे परिवार का उसकी पत्नी और तीन बच्चों सहित बहिष्कार कर दिया.
अब हालत यह है कि उन्हें न तो गांव के कुएं या तालाब से पानी लेने दिया जा रहा है, न ही दुकान से राशन. कोई उनसे बात करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है. संग्राम ने मजबूर होकर पुलिस से शिकायत की है.
"पिता की मौत की वजह शराब, इसलिए नहीं परोसी"
संग्राम का कहना है कि उन्होंने शराब न परोसने का फैसला एक सोच-समझकर लिया. उनके पिता को शराब की लत थी और इसी कारण उनकी तबीयत खराब होती गई. संग्राम का मानना है कि आदिवासी समुदाय में शराब की आदत ने कई परिवारों को बर्बाद कर दिया है. इसीलिए उन्होंने अपने पिता की मौत को एक सबक मानते हुए भोज में हंडिया से दूरी बनाई.
पुजारी बोले – परंपरा है, मजबूरी नहीं
संथाल समुदाय के एक पुजारी ने बताया कि अंतिम संस्कार के दौरान दिवंगत के पास हंडिया रखना एक परंपरा हो सकती है, लेकिन भोज में इसे परोसना कोई धार्मिक बाध्यता नहीं है. यह परिवार की इच्छा और सामर्थ्य पर निर्भर करता है.
पुलिस ने दी चेतावनी
इस घटना को लेकर पुलिस भी सक्रिय हुई है. थाना प्रभारी रमाकांत पात्रा ने गांव का दौरा किया और ग्रामीणों को स्पष्ट रूप से चेताया कि किसी भी कारण से किसी परिवार को सामाजिक रूप से बहिष्कृत करना कानूनन अपराध है. दो दिन के भीतर समाधान नहीं होने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
ये भी पढ़ें: यू-ट्यूब से सीखा खेल, बच्चे की जान पर बन आई, गले की नस दबाकर किया खतरनाक स्टंट