नई दिल्ली: बीते कुछ दिनों में जब पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों को ड्रोन और मिसाइल हमलों से निशाना बनाने की असफल कोशिश की, तो विश्व भर की निगाहें भारत के उस अभेद्य वायु रक्षा कवच पर टिक गईं, जिसने इन हमलों को न केवल विफल किया, बल्कि पाकिस्तान को करारा जवाब देने की भी पूरी ताकत दिखाई.
भारत द्वारा "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पीओके और पाकिस्तान में आतंकवाद के ठिकानों पर की गई सर्जिकल कार्रवाई के बाद से दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ गया है. पाकिस्तान ने बदले की भावना से जवाबी हमलों की कोशिश की, लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने उसकी हर चाल को हवा में ही नष्ट कर दिया.
2014 से शुरू हुई रक्षानीति में बड़ा बदलाव
इस असाधारण सफल रक्षा प्रणाली के पीछे एक दशक लंबी रणनीतिक सोच, तकनीकी नवाचार, और सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति रही है. विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 से शुरू हुई रक्षानीति में बड़ा बदलाव आया, जिसने भारत को सिर्फ एक क्षेत्रीय शक्ति से आगे बढ़ाकर एक वैश्विक सैन्य खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया.
2014 के बाद से भारत ने रक्षा क्षेत्र में कई निर्णायक और दीर्घकालिक फैसले लिए, जिनका उद्देश्य केवल आंतरिक सुरक्षा नहीं, बल्कि भविष्य के बहु-आयामी युद्धों की तैयारी करना था. यही दृष्टिकोण भारत को उस स्थिति में लाया जहाँ वह अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि अग्रसक्रिय होकर निर्णायक कार्रवाई करता है.
S-400 ट्रायम्फ से बनी लौह कवच
भारत की वायु रक्षा शक्ति की रीढ़ रूस से प्राप्त एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली है. वर्ष 2018 में रूस से 5 स्क्वाड्रन की खरीद के लिए 35,000 करोड़ रुपये का सौदा हुआ था. अब तक भारत को तीन स्क्वाड्रन मिल चुके हैं और इन्हें चीन और पाकिस्तान की सीमाओं के समीप तैनात किया गया है.
एस-400 की प्रमुख विशेषताएं:
इस प्रणाली की मौजूदगी ने पाकिस्तान की किसी भी हवाई आक्रामकता को शुरुआत में ही विफल कर दिया.
DRDO: स्वदेशी रक्षा तकनीक का मस्तिष्क
भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पिछले वर्षों में एंटी-ड्रोन तकनीक, आकाश मिसाइल, उन्नत रडार सिस्टम, और इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस नेटवर्क जैसी अत्याधुनिक प्रणालियों का विकास किया.
विशेष रूप से, DRDO द्वारा विकसित Counter-Unmanned Aerial System (CUAS) ने पाकिस्तान द्वारा भेजे गए ड्रोन हमलों को तुरंत ट्रैक करके नष्ट कर दिया. इसके साथ जुड़े सेंसर ग्रिड, इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, और हार्ड किल इंटरसेप्टर प्रणाली ने वायु क्षेत्र की अभेद्य सुरक्षा सुनिश्चित की.
भारत-इज़राइल साझेदारी का कमाल
इज़राइल के सहयोग से विकसित बराक-8 (MR-SAM) मिसाइल प्रणाली भारत के एयर डिफेंस में एक और मजबूत स्तंभ बनी है. 2017 में हुए 2.5 बिलियन डॉलर के सौदे के बाद अब यह प्रणाली पंजाब, राजस्थान और पश्चिमी सीमाओं पर तैनात है. यह 70-100 किलोमीटर की दूरी तक किसी भी वायु लक्ष्य को रोक सकती है.
इसके साथ ही, भारत की स्वदेशी "आकाश" मिसाइल प्रणाली भी अत्यंत प्रभावशाली साबित हुई है. इसका संस्करण अब DRDO द्वारा अपग्रेड किया गया है, और यह सतह से हवा में मध्यम दूरी तक मार करने में सक्षम है.
ऑपरेशन सिंदूर: प्रतिरोध नहीं, निर्णायक प्रहार
भारत द्वारा की गई कार्रवाई केवल रक्षा नहीं थी, बल्कि स्पष्ट संदेश था — अब भारत की नीति में "First Strike Neutralization" भी शामिल है. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने:
इस सफलता में भारत की पूरी वायु रक्षा प्रणाली ने समन्वित रूप से काम किया, जिसने एक जटिल और बहुस्तरीय हमले को अंजाम दिया.
मोदी सरकार की रणनीतिक दूरदर्शिता
2014 के बाद सरकार ने रक्षा क्षेत्र में "Make in India" को गति दी. इसके तहत:
ये सभी पहलें भारत को भविष्य की युद्ध तकनीकों में अग्रणी बना रही हैं.
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