सुपरस्टार प्रभास को अक्सर एक्शन या फिर रोमांटिक ड्रामा फिल्मों में देखा गया है. पिछली बार उन्हें एक्टर को ‘सालार’ और ‘कल्कि 2898 AD’ जैसी बड़ी फिल्मों का हिस्सा बनते हुए देखा गया, जो कि पैन इंडिया बड़ी हिट्स बनने से चूक गई थी. फैंस प्रभास को रीबेल स्टार के रूप में ही देखना ज्यादा पसंद करते हैं. ऐसे में द राजा साब में एक्टर का अवतार हमेशा से इस बार थोड़ा अलग होने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इस बार भी उम्मीदों पर भारी पानी फेरता दिखा फिल्म का टीजर.
टीज़र की सबसे खराब बातें
1. वीएफएक्स बेहद घटिया और आउटडेटेड
- दर्शकों ने प्रभास के “बड़े हाथ” और भूतिया ग्राफिक्स को गेमिंग ऐप जैसा बताया.
- Reddit और X (Twitter) पर कई यूज़र्स ने कहा कि "यह 2025 नहीं, 2010 का वीएफएक्स लगता है."
2. प्रभास की थकी हुई परफॉर्मेंस
- प्रभास एक बार फिर भावहीन और बोरिंग लगे.
- टीज़र में उनके एक्सप्रेशन और बॉडी लैंग्वेज को लेकर कहा गया: “ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें खुद फिल्म में कोई दिलचस्पी नहीं है.”
3. टीज़र का टोन कन्फ्यूजिंग
- फिल्म हॉरर है या कॉमेडी? – दर्शकों को यह समझ ही नहीं आया.
- “ये टीज़र है या मज़ाक? डरना है या हँसना – तय ही नहीं हुआ!”
4. संवाद और बैकग्राउंड म्यूजिक कमजोर
- प्रभास की डायलॉग डिलीवरी फ्लैट थी.टीज़र में कोई “पंचलाइन” नहीं थी, जो याद रह जाए.
- “₹400 करोड़ की फिल्म का इतना सुस्त टीज़र? विश्वास ही नहीं होता!”
सोशल मीडिया मीम्स ने क्या कहा?
- “बाहुबली से लेकर द राजा साब तक – क्या ट्रैजेक्टरी है प्रभास की!”
- “ये टीज़र देखकर लग रहा है प्रभास ने आदिपुरुष से कुछ नहीं सीखा.”
- “थिएटर जाने का मन नहीं कर रहा, वेट करेंगे ओटीटी पर.”
निष्कर्ष:
- द राजा साब का टीज़र प्रभास के फैंस की उम्मीदों पर पानी फेरता दिखा.
- यह फिल्म एक टॉनल मिक्सअप लगती है – न डराता है, न हंसाता है, न उत्साहित करता है.
प्रभास को लेकर दर्शकों की बढ़ती नाराज़गी के कारण:
1. एक्टिंग में वैरायटी की कमी
- लगातार एक ही तरह की बॉडी लैंग्वेज, एक्सप्रेशन और डायलॉग डिलीवरी.
- 'साहो', 'राधे श्याम', 'आदिपुरुष' और अब 'द राजा साब' — सभी में उनका अभिनय ठंडा और थका हुआ लगने लगा है.
2. गलत स्क्रिप्ट चॉइस
- प्रभास ने लगातार कमजोर या विवादित स्क्रिप्ट वाली फिल्मों को चुना.
- बाहुबली के बाद 'पैन इंडिया स्टार' बनने की होड़ में स्क्रिप्ट की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया.
3. बजट बड़ा, रिसल्ट छोटा
- ₹300-₹500 करोड़ की फिल्मों का बजट, लेकिन कंटेंट में गहराई नहीं.
- जब इतनी बड़ी राशि झोंकी जाती है, और फिल्म फिर भी “मीम मैटेरियल” बन जाए — तो सवाल उठते ही हैं.
4. प्रोफेशनल थकावट या पैशन की कमी?
ओडियंस को लगता है कि प्रभास अब एक्टिंग को पैशन से नहीं कर रहे — बल्कि “मजबूरी या फॉर्मेलिटी” बन गई है.
तो क्या प्रभास को एक्टिंग छोड़ देनी चाहिए?
नहीं — ज़रूरी नहीं.
लेकिन... उन्हें ये करना चाहिए:
- कुछ समय का ब्रेक लें.
- संवाद और इमोशन वाली फिल्मों में वापसी करें. (जैसे डार्लिंग, मिर्ची)
- टैलेंटेड डायरेक्टर्स के साथ काम करें, सिर्फ पैन इंडिया फॉर्मूलों के पीछे ना भागें.
- असली प्रभास वापस लाएं — जो 'बाहुबली 1' में मासूम था और 'बाहुबली 2' में रॉयल.
फैंस की भावना: "हमने आपको बाहुबली में देवता बना दिया था प्रभास… अब कम से कम इंसानी स्तर पर तो एक्टिंग करिए."