नई दिल्ली/लंदन: इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) द्वारा वर्ष 2025 के लिए ग्लोबल पीस इंडेक्स (GPI) जारी कर दिया गया है, जिसमें आइसलैंड ने एक बार फिर दुनिया के सबसे शांतिपूर्ण और सुरक्षित देश का खिताब अपने नाम किया है. लगातार 2008 से लेकर अब तक आइसलैंड इस सूची में पहले स्थान पर बना हुआ है, जो देश की आंतरिक स्थिरता, न्यूनतम अपराध दर और मजबूत सामाजिक ताने-बाने को दर्शाता है.
इस रिपोर्ट में दुनिया के कुल 163 स्वतंत्र देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जो वैश्विक जनसंख्या का लगभग 99.7% प्रतिनिधित्व करते हैं. यह सूचकांक देशों की आंतरिक और बाहरी शांति, सामाजिक स्थायित्व, सैन्य गतिविधियों, और राजनीतिक अस्थिरता जैसे कई मापदंडों के आधार पर तैयार किया गया है.
दुनिया के सबसे शांतिपूर्ण देश
2025 के ग्लोबल पीस इंडेक्स में जिन देशों ने टॉप 10 में जगह बनाई है, वे मुख्यतः यूरोप और कुछ विकसित एशियाई देशों से हैं. इनमें शामिल हैं:
इन देशों में अपराध दर बेहद कम है, सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था मजबूत है और राजनीतिक स्थिरता बनी हुई है. आइसलैंड, जो न तो स्थायी सेना रखता है और न ही किसी प्रकार के गंभीर आंतरिक संघर्ष से जूझ रहा है, अपने शांतिपूर्ण समाज के लिए विश्व भर में उदाहरण बन चुका है.
भारत की स्थिति: उम्मीद के संकेत
ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025 में भारत को 115वां स्थान मिला है, जो पिछली रैंकिंग के मुकाबले कुछ सुधार को दर्शाता है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत का शांति स्कोर 2.229 दर्ज किया गया है, जो पिछले साल की तुलना में 0.58% बेहतर है. यह सुधार बताता है कि भारत में हाल के वर्षों में सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर कुछ हद तक स्थिरता आई है.
हालांकि भारत टॉप 100 में जगह नहीं बना पाया, लेकिन शांति की दिशा में उठाए गए कदमों और सुरक्षा के लिए किए गए प्रयासों ने कुछ सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं. घरेलू स्तर पर हिंसा, सीमावर्ती तनाव, और सामाजिक असमानताओं के बावजूद भारत में शांतिपूर्ण पहलों और कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार की संभावना बनी हुई है.
सबसे असुरक्षित देश
इस रिपोर्ट में सबसे निचले पायदान पर आने वाले देशों में यमन, सूडान, कांगो, यूक्रेन, और रूस जैसे देश शामिल हैं. इनमें से अधिकांश देश आंतरिक सशस्त्र संघर्ष, आतंकवाद, या बाहरी युद्ध में उलझे हुए हैं. विशेषकर रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष और यमन में चल रहे गृहयुद्ध ने इन देशों की शांति रैंकिंग को काफी हद तक प्रभावित किया है.
दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, और पाकिस्तान जैसे देशों में भी शांति की स्थिति खराब हुई है, जहां नागरिक अशांति, राजनीतिक दमन, और मानवाधिकार उल्लंघनों के मामले सामने आए हैं.
दुनिया में संघर्षों की बढ़ती संख्या
IEP की रिपोर्ट यह भी बताती है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया में संघर्षों की संख्या अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. वर्ष 2025 में अब तक तीन नए सशस्त्र संघर्ष शुरू हो चुके हैं, जो वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और शांति के लिए एक गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं.
हालांकि, जिन देशों ने टॉप रैंकिंग हासिल की है, वे लंबे समय से स्थिर हैं और वहां की सरकारें सामाजिक एकता और कूटनीतिक नीतियों के माध्यम से शांति बनाए रखने में सफल रही हैं.
शांति को मापने के मानदंड
ग्लोबल पीस इंडेक्स मुख्यतः तीन प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित होता है:
इन सभी मानकों को जोड़कर हर देश को एक कुल स्कोर और रैंक दी जाती है.
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