भारत के पहलगाम में हमले का पाकिस्तान की नीलम घाटी पर दिखा असर, कैसे अपने ही जाल में फंसा आतंकिस्तान?

    भारत के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद दक्षिण एशिया एक बार फिर तनाव के मुहाने पर खड़ा है. 26 निर्दोष लोगों की जान लेने वाले इस हमले की जिम्मेदारी भले ही एक आतंकवादी संगठन ने ली हो, लेकिन दिल्ली ने इसके पीछे पाकिस्तान की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

    The impact of the attack on Pahalgam in India was seen on Neelam Valley of Pakistan How did terrorism get trapped in its own net
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    मुज़फ़्फराबाद: भारत के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद दक्षिण एशिया एक बार फिर तनाव के मुहाने पर खड़ा है. 26 निर्दोष लोगों की जान लेने वाले इस हमले की जिम्मेदारी भले ही एक आतंकवादी संगठन ने ली हो, लेकिन दिल्ली ने इसके पीछे पाकिस्तान की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं. जबकि इस्लामाबाद लगातार इनकार कर रहा है, घटनाक्रम का असर अब सीमापार की आम जिंदगी पर भी साफ तौर पर दिखने लगा है और इसकी सबसे बड़ी मिसाल है नीलम घाटी.

    नीलम घाटी में पसरा सन्नाटा, होटल खाली

    हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचने वाली पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की नीलम घाटी, इस समय अप्रत्याशित सन्नाटे से जूझ रही है. LoC से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह घाटी, जहां आमतौर पर मई-जून में पर्यटकों की चहल-पहल रहती थी, अब सुरक्षा की आशंकाओं और युद्ध के डर से लगभग खाली हो चुकी है.

    स्थानीय होटल व्यवसायी रफाकत हुसैन कहते हैं, "अभी तक हमारे पास एक भी बुकिंग नहीं आई. LoC पर हलचल और मीडिया में चल रही खबरों ने लोगों को डरा दिया है."

    सीमा से सटे इलाकों में डर का माहौल

    नीलम घाटी ही नहीं, बल्कि चकोटी, शारदा और केरन जैसे LoC से सटे कई इलाकों में भी लोग असमंजस और चिंता में हैं. छोटे दुकानदार से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चों तक, सभी इस सवाल से जूझ रहे हैं. क्या युद्ध होगा?

    पाकिस्तानी प्रशासन ने फिलहाल इन क्षेत्रों में कोई आधिकारिक पाबंदी नहीं लगाई है, लेकिन पिछले वर्षों में जब सीमा पर तनाव बढ़ा था, तब स्थानीय नागरिकों के लिए बंकर बनाए गए थे. इस बार वैसी कोई तैयारी नहीं दिख रही, और यही आम नागरिकों की चिंता की वजह है.

    आर्थिक और सामाजिक असर भी गहराया

    पर्यटन घाटी की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. लेकिन इस सन्नाटे से न केवल स्थानीय व्यापार प्रभावित हुआ है, बल्कि इससे जुड़े हजारों लोगों की आजीविका भी खतरे में पड़ गई है.

    पाकिस्तानी पत्रकार इमरान राशिद कहते हैं, "जब सैन्य तनाव होता है, तो उसका असर सिर्फ मोर्चों तक नहीं रहता, हर वो व्यक्ति प्रभावित होता है जो शांति में जीना चाहता है."

    आतंकवाद से खुद ही उलझन में पाकिस्तान

    पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत में हुए हमले से खुद को अलग बताया है, लेकिन यह इनकार उसके भीतर की चुनौतियों को नहीं छुपा पा रहा. पाकिस्तान में सक्रिय कई आतंकी संगठन न केवल पड़ोसी देशों के लिए, बल्कि खुद उसकी आंतरिक स्थिरता के लिए भी खतरा बन चुके हैं.

    वर्तमान तनाव ने यह साफ कर दिया है कि सीमा पार की किसी भी आतंकी गतिविधि का असर दोतरफा होता है. और नीलम घाटी की वीरानी इस बात का जीवंत उदाहरण है.

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