नई दिल्ली: पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और उसके जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर केंद्र सरकार ने पहली बार संसद में आधिकारिक बयान दिया है. गुरुवार को राज्यसभा में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने इस विषय पर लिखित जवाब में बताया कि यह ऑपरेशन पाकिस्तान से प्रायोजित बर्बर आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था.
सिंह ने स्पष्ट किया कि 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट किया, जो भारतीय सुरक्षा तंत्र के लिए सीधा खतरा बन चुके थे. इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने कठोर प्रतिकार करते हुए उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया.
सीजफायर कैसे हुआ? पाकिस्तान ने खुद की पहल
सीजफायर की पृष्ठभूमि पर बात करते हुए मंत्री ने बताया कि 10 मई को पाकिस्तान की सेना के मिलिट्री ऑपरेशन्स के महानिदेशक (DGMO) ने भारत के DGMO से संपर्क साधा और सीमा पर गोलीबारी तथा सैन्य कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया. उसी दिन बाद में दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बन गई.
यह जानकारी सपा सांसद रामजी लाल सुमन के सवालों के जवाब में दी गई. सांसद ने सवाल उठाया था कि क्या ऑपरेशन सिंदूर अंतरराष्ट्रीय दबाव में शुरू हुआ था, युद्धविराम की अचानक घोषणा से भारतीय सेना का मनोबल प्रभावित हुआ है या नहीं, और आखिर इस ऑपरेशन की वास्तविकता क्या है.
आतंकवाद पर वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को घेरा
सिर्फ सैन्य कार्रवाई ही नहीं, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत ने पाकिस्तान को निशाने पर लिया है. मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि भारत ने सीमा पार आतंकवाद को वैश्विक मंचों पर प्रमुखता से उठाया, जिससे कई पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब किया गया.
पाकिस्तान को सैन्य मदद पर सख्त नजर
विदेश राज्य मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत पाकिस्तान को मिलने वाली किसी भी सैन्य और सुरक्षा सहायता पर करीब से नजर रखता है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी चिंताओं को अमेरिका सहित सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ समय-समय पर साझा करता रहा है.
भारत का रुख साफ है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग थे, हैं और रहेंगे. अमेरिका के साथ भारत का आतंकवाद विरोधी सहयोग एक मजबूत स्तंभ के रूप में काम कर रहा है, और दोनों देश आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त रणनीति पर काम कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- 150 साल में बौद्ध से इस्लामी देश बना, 25 साल में डूब सकता है 80% हिस्सा, जानें मालदीव के बारें में सबकुछ