नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी वित्तपोषण पर निगरानी रखने वाली संस्था FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने हाल ही में एक अहम रिपोर्ट में खुलासा किया है कि किस तरह आतंकी संगठन ऑनलाइन खरीदारी और डिजिटल भुगतान सेवाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं. रिपोर्ट में भारत में हुए पुलवामा हमले और गोरखनाथ मंदिर हमले जैसे मामलों को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया गया है.
ई-कॉमर्स के जरिए विस्फोटक सामग्री की खरीद
FATF की रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलवामा हमले की साजिश के दौरान आतंकियों ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Amazon से एक महत्वपूर्ण रसायन – एल्युमिनियम पाउडर (EPOM) – खरीदा, जिसका इस्तेमाल IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाने में हुआ था. इस हमले में फरवरी 2019 में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. जांच में पाया गया कि इस आतंकी साजिश को जैश-ए-मोहम्मद द्वारा अंजाम दिया गया था और इसमें कई विदेशी नागरिकों की भूमिका रही थी.
गोरखनाथ मंदिर हमला और PayPal
एक अन्य केस स्टडी में 2022 के गोरखनाथ मंदिर में हुए हमले का जिक्र है, जहां एक आईएसआईएल से प्रेरित हमलावर ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया था. रिपोर्ट में बताया गया कि आरोपी ने PayPal के माध्यम से ₹6.7 लाख (लगभग $7,700) विदेशी खातों में ट्रांसफर किए और इन पैसों का उपयोग आतंकी गतिविधियों के समर्थन में किया. आरोपी ने वीपीएन के जरिये अपनी लोकेशन छिपाई और विदेशी स्रोतों से धन भी प्राप्त किया. वित्तीय लेनदेन की संदिग्ध प्रकृति के चलते PayPal ने बाद में उसका खाता सस्पेंड कर दिया.
स्टेट-स्पॉन्सर्ड टेररिज्म पर भी सवाल
FATF की रिपोर्ट इस बात की भी ओर इशारा करती है कि कुछ आतंकी संगठनों को सरकारी स्तर पर भी समर्थन मिला है, जिसमें वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण, सामग्री सप्लाई और लॉजिस्टिक सपोर्ट शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई सरकारों की मिलीभगत से आतंकी संगठन फंडिंग और ऑपरेशन को आगे बढ़ाने में सक्षम होते हैं.
भारत की चिंता और पाकिस्तान पर आरोप
भारत ने लंबे समय से यह आरोप लगाया है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को शरण, संसाधन और वित्तीय सहायता देता है. FATF की रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत की इस चिंता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और बल मिला है. भारत का मानना है कि पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में बनाए रखना आवश्यक है, ताकि आतंकी फंडिंग पर वैश्विक दबाव बना रहे.
फिनटेक का बढ़ता इस्तेमाल
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशक में फिनटेक और डिजिटल पेमेंट सेवाओं में तेज़ी से वृद्धि हुई है. इनका लाभ जहां आम नागरिकों को मिल रहा है, वहीं आतंकी भी इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. FATF ने आगाह किया है कि डिजिटल भुगतान सेवाओं और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की मॉनिटरिंग और रेगुलेशन को और मजबूत किया जाना चाहिए.
ये भी पढ़ें- चीन के साथ याराना बढ़ा रहा था बांग्लादेश, ट्रंप ने दे दी टैरिफ की मार; अब होगा पाकिस्तान वाला हाल!