यरुशलम में सोमवार को हुए एक दर्दनाक आतंकवादी हमले ने एक बार फिर मध्य पूर्व में जारी अशांति की भयावह तस्वीर दुनिया के सामने रख दी. एक व्यस्त चौराहे पर स्थित बस स्टॉप पर दो हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर दी, जिसमें छह लोगों की जान चली गई और एक दर्जन से अधिक घायल हो गए. इस घटना ने इजराइल के नागरिकों के दिलों में पुरानी पीड़ाओं को ताजा कर दिया है.
इजराइली सरकार ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे यरुशलम की राजधानी पर एक ‘क्रूर और भयानक आतंकवादी हमला’ करार दिया. इजराइल के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए कहा, “यह वही बुराई है जिसका सामना इजराइल बार-बार करता आ रहा है. इस्लामी कट्टरपंथी ताकतें हमारे निर्दोष नागरिकों को निशाना बना रही हैं.” विदेश मंत्रालय की पोस्ट में बताया गया कि हमलावरों ने बसों में बैठे मुसाफिरों, राहगीरों और वहां मौजूद लोगों को अंधाधुंध गोलियों का निशाना बनाया. पहले पांच लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई थी, लेकिन बाद में यह संख्या बढ़कर छह हो गई.
भारत में मौजूद इजराइली अधिकारी ने साझा किया निजी दुख
इस हमले की खबर मिलते ही भारत दौरे पर आए इजराइली प्रतिनिधिमंडल में भी शोक की लहर दौड़ गई. वित्त मंत्रालय में महालेखाकार याली रोटहेनबर्ग, जो इन दिनों वित्त मंत्री बेजेल स्मोट्रिच के नेतृत्व में भारत यात्रा पर हैं, ने इस घटना को लेकर गहरा दुख व्यक्त किया. रोटहेनबर्ग ने मीडिया को बताया, "जब मुझे पता चला कि हमले में मेरे एक कर्मचारी की मां की मौत हो गई है, तो मैं स्तब्ध रह गया. यह केवल एक राष्ट्रीय त्रासदी नहीं, बल्कि एक निजी आघात भी है." उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं उन्हें बीते वर्षों में इजराइल पर हुए अन्य क्रूर हमलों की याद दिलाती हैं.
विदेश मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मांगा समर्थन
इजराइल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने हमले के बाद दिए गए एक बयान में वैश्विक समुदाय से स्पष्ट रुख अपनाने की अपील की. उन्होंने कहा, "आज यरुशलम के रामोट जंक्शन पर जो हमला हुआ, वह सिर्फ इजराइल पर नहीं बल्कि मानवता पर हमला है. दो फिलिस्तीनी आतंकियों ने यहूदी नागरिकों को निशाना बनाया और बसों में घुसकर निर्मम हत्या की." उन्होंने यूरोप और अन्य देशों से सवाल किया, “अब समय आ गया है कि दुनिया तय करे—क्या आप आतंकवाद के खिलाफ खड़े होंगे, या उन ताकतों के साथ जो जिहाद के नाम पर निर्दोष लोगों की जान लेती हैं?”
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