Eighth Pay Commission: करीब 10 महीने की प्रतीक्षा के बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आठवें वेतन आयोग के टर्म ऑफ रेफरेंस (ToR) को मंजूरी दे दी गई. यह फैसला लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनभोगियों के लिए राहत लेकर आया है. साल की शुरुआत में सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी, ताकि कर्मचारियों और पेंशनधारकों के वेतन और भत्तों में संशोधन किया जा सके.
आठवें वेतन आयोग की संरचना
आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई करेंगी. उनके साथ आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर पुलक घोष और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव पंकज जैन सदस्य के रूप में शामिल होंगे. सरकार ने आयोग को 18 महीने के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. आयोग इस दौरान विभिन्न हितधारकों से विचार-विमर्श करेगा और अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा.
टर्म ऑफ रेफरेंस (ToR) क्या है?
टर्म ऑफ रेफरेंस यानी ToR वेतन आयोग का मार्गदर्शक दस्तावेज होता है. इसमें वे सभी नियम और दिशा-निर्देश होते हैं जिनके आधार पर आयोग अपनी सिफारिशें तैयार करता है. ToR का मसौदा जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (JCM) तैयार करती है और अंतिम मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट देती है. JCM में कई मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, जिनमें से 12 सदस्य स्टैंडिंग कमेटी से चुने जाते हैं. ये सदस्य सचिव स्तर के अधिकारियों के साथ मिलकर ToR को अंतिम रूप देते हैं.
सैलरी बढ़ोतरी का गणित: फिटमेंट फैक्टर
केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में वृद्धि पूरी तरह फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) पर निर्भर करती है. फिटमेंट फैक्टर एक गुणांक है, जिसे पुराने बेसिक पे से गुणा करके नया बेसिक पे तय किया जाता है.
फॉर्मूला:
नया बेसिक पे = पुराना बेसिक पे × फिटमेंट फैक्टर
उदाहरण के लिए, सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. यदि किसी कर्मचारी का बेसिक पे 10,000 रुपये था, तो नया बेसिक पे 25,700 रुपये हो गया.
8वें वेतन आयोग में सैलरी कितनी बढ़ सकती है?
अभी अनुमान है कि फिटमेंट फैक्टर 1.83 से 2.86 के बीच तय किया जा सकता है. इसका मतलब यह है कि केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में 100% से लेकर 180% तक का इजाफा संभव है. सातवें वेतन आयोग में 2.57 के फिटमेंट फैक्टर के साथ 157% की वृद्धि हुई थी. हालांकि, नई सिफारिशों को लागू करने से पहले सरकार महंगाई, राजकोषीय स्थिति और आर्थिक पहलुओं को भी ध्यान में रखेगी.
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