UP Politics: उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के ताजा बयान ने समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर नई बहस छेड़ दी है. मसूद ने साफ किया है कि अब कांग्रेस बैकफुट पर नहीं रहेगी और अगर सपा के साथ आगे कोई समझौता होता है, तो वह सम्मानजनक और बराबरी पर आधारित होगा.
"80-17 का फॉर्मूला अब नहीं चलेगा"
एक इंटरव्यू में इमरान मसूद ने कहा कि 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को सपा के साथ अपने रिश्तों की नई परिभाषा तय करनी होगी. उन्होंने कहा, "यूपी में अब 80-17 का फॉर्मूला नहीं चलेगा.अब ये नहीं चलेगा कि समाजवादी पार्टी तय करे कि हम कौन-सी सीट पर चुनाव लड़ेंगे. यह निर्णय कांग्रेस नेतृत्व करेगा." मसूद का दावा है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को राहुल गांधी के नाम पर वोट मिले और माहौल पूरी तरह कांग्रेस के पक्ष में था. ऐसे में अगर गठबंधन होता भी है, तो वह 'सम्मानजनक' होना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस को सपा से कुछ नहीं चाहिए, लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के आत्मसम्मान से कोई समझौता नहीं होगा.
"अब हमें बैसाखियों की ज़रूरत नहीं"
इमरान मसूद ने कहा, "हम अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत करने के काम कर रहे हैं. जमीनी स्तर पर काम किया जा रहा है. हम अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे अब हमें किसी बैसाखी की ज़रूरत नहीं है." उन्होंने सपा पर तंज कसते हुए कहा कि उपचुनाव में कांग्रेस को ऐसी सीटें दी गईं जहां जीत की संभावना बेहद कम थी, इसलिए पार्टी ने उपचुनाव से दूरी बनाए रखी. उन्होंने कहा, “बीजेपी अपने सहयोगियों को खत्म कर देती है और हमारे सहयोगी हमें खा जाते हैं.”
उन्होंने कहा कि, "वो ये क्यों तय कर रहे हैं कि आप ये सीटें लड़ सकते हो? अगर हम सहयोगी है तो हम अपनी सीटों का फैसला ख़ुद करेंगे. वो हमें ऐसी सीटें देते हैं जहां हम हारेंगे, इसलिए हमने उपचुनाव नहीं लड़ा." उन्होंने दावा किया कि सपा से गठबंधन का कांग्रेस पार्टी को नुकसान हो रहा है. बीजेपी तो अपने सहयोगियों को खा जाती है और हमारे सहयोगी हमें खा जाते हैं. अगर कोई बीजेपी से लड़ सकता है तो वो कांग्रेस पार्टी है. कांग्रेस अकेली ऐसी पार्टी है जो कभी बीजेपी के साथ नहीं जाएगी.