धरती का नर्क बना सूडान, जानवरों का चारा खाने को मजबूर हैं लोग, 40% बच्चों पर मौत का खतरा

    Sudan Humanitarian Crisis: कभी इंसानी सभ्यता की शुरुआत की प्रतीक रही अफ्रीकी धरती सूडान, आज इतिहास के सबसे भयावह मानवीय संकटों में डूब चुकी है. दो साल से चल रहे गृहयुद्ध ने देश को इस कदर तोड़ दिया है कि अब लोग रोटी नहीं, जानवरों का चारा खा रहे हैं.

    Sudan Food Crisis People are forced to eat animal feed 40% children are at risk of death
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    Sudan Humanitarian Crisis: कभी इंसानी सभ्यता की शुरुआत की प्रतीक रही अफ्रीकी धरती सूडान, आज इतिहास के सबसे भयावह मानवीय संकटों में डूब चुकी है. दो साल से चल रहे गृहयुद्ध ने देश को इस कदर तोड़ दिया है कि अब लोग रोटी नहीं, जानवरों का चारा खा रहे हैं. पश्चिमी सूडान के अल-फाशर शहर में हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि अगर जल्द राहत नहीं पहुंची, तो वहां हजारों लोग भूख से तड़प-तड़प कर मर जाएंगे.

    RSF का कब्जा, इंसानों की ज़िंदगी बंधक

    अल-फाशर, जो उत्तरी दारफूर राज्य की राजधानी है, मई 2023 से पैरामिलिट्री समूह रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के कब्जे में है. इस संगठन ने पूरे शहर को चारों ओर से घेर रखा है, जिससे कोई भी मुख्य मार्ग अब खुला नहीं है. नतीजतन, खाने-पीने की वस्तुएं, दवाइयां और राहत सामग्री शहर तक पहुंच ही नहीं पा रही हैं.

    लोग खा रहे हैं जानवरों का चारा

    खाने की ऐसी भयावह कमी हो गई है कि अल-फाशर में रह रहे लोग अब अमबाज नाम का चारा खा रहे हैं. ये मूंगफली के छिलकों से तैयार किया जाने वाला पशु आहार है, जिसे आमतौर पर जानवरों को खिलाया जाता है. स्थानीय कैंप में रह रहे उथमान अंगारो ने बताया कि एक वक्त का खाना भी मुश्किल से मिल पा रहा है. शहर में ‘मतबख अल-खैर’ नाम की चैरिटी किचन लोगों को खाना देने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब वहां भी राशन खत्म हो रहा है. एक पशु चिकित्सक जुल्फा अल-नूर ने चेताया कि अमबाज का स्टॉक भी अब खत्म हो रहा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील की है कि राहत सामग्री को हवाई मार्ग से गिराया जाए.

    40% बच्चे बेहद अस्वस्थ

    संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि अल-फाशर में 5 साल से कम उम्र के 40% बच्चे गंभीर कुपोषण से जूझ रहे हैं, और 11% की हालत अत्यंत नाजुक है. इससे भी खतरनाक बात यह है कि इलाके में हैजा और अन्य बीमारियों का भी तेजी से फैलाव हो रहा है. अब तक कम से कम 191 लोगों की मौत भूख और कुपोषण से हो चुकी है. अकेले तविला इलाके में 62 मौतें दर्ज की गई हैं.

    बारिश और फंड की कमी बनी नई मुसीबत

    अगस्त का महीना सूडान में बरसात का मौसम होता है, जिससे सड़कें और रास्ते बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं. राहत सामग्री ले जाना और भी मुश्किल हो गया है. यूनिसेफ ने कहा है कि फंड की भारी कमी के चलते बच्चों के लिए न पोषण है, न साफ पानी और न ही दवाइयां हैं. यूनिसेफ के प्रतिनिधि शेल्डन येट ने कहा, "बच्चे अब केवल हड्डियों का ढांचा बन चुके हैं. अगर अब मदद नहीं पहुंची, तो बहुत देर हो जाएगी."

    सिर्फ 23% मदद ही पहुंची

    संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि अब तक सिर्फ 23% जरूरी अंतरराष्ट्रीय मदद ही सूडान तक पहुंच पाई है. अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, सूडान में अब तक 1.3 करोड़ से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं, और हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. अल-फाशर अब IPC फेज-5, यानी ‘पूरी तरह अकाल’ की स्थिति में पहुंच चुका है. 

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