लंदन: क्रिकेट की दुनिया में जो दिन इतिहास बनाते हैं, वो अक्सर सालों तक याद रखे जाते हैं. 13 जून 2025, ऐसा ही एक दिन था, जब साउथ अफ्रीका ने आखिरकार अपने 27 साल पुराने सूखे को खत्म कर दिया और खुद को 'चोकर्स' के टैग से आज़ाद कर लिया. लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर साउथ अफ्रीका ने टेस्ट क्रिकेट की सबसे बड़ी ट्रॉफी जीतकर दुनिया को बता दिया कि अब वो बड़े मुकाबलों में टूटने वाली टीम नहीं रही.
ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल में साउथ अफ्रीका ने शानदार रन चेज कर 5 विकेट से जीत दर्ज की. यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, बल्कि यह एक पीढ़ी के भरोसे, धैर्य और लड़ने की जिद की जीत थी.
एडेन मार्करम ने गढ़ा इतिहास
फाइनल मुकाबले में साउथ अफ्रीका के लिए सबसे बड़ा हीरो बनकर उभरे एडेन मार्करम, जिन्होंने 207 गेंदों में 136 रनों की बेमिसाल पारी खेली. हैरानी की बात यह रही कि पहली पारी में वो खाता भी नहीं खोल पाए थे, लेकिन दूसरी पारी में उन्होंने जिस तरह ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त किया, उसने साउथ अफ्रीका के सपनों को हकीकत में बदल दिया.
मार्करम के साथ कप्तान टेम्बा बावुमा ने भी शानदार 66 रनों की संघर्षपूर्ण पारी खेली. बावुमा के आउट होने के बाद भी टीम ने धैर्य नहीं खोया और बेडिंघम व वेरेने ने जिम्मेदारी से लक्ष्य तक टीम को पहुंचाया.
लॉर्ड्स पर रिकॉर्ड रन चेज
लॉर्ड्स के मैदान पर यह रन चेज टेस्ट इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा सफल लक्ष्य रहा. इससे पहले यहां सिर्फ वेस्टइंडीज ने 1984 में इंग्लैंड के खिलाफ 342 रन का बड़ा लक्ष्य हासिल किया था. साउथ अफ्रीका ने 282 रनों का टारगेट पार कर खुद को क्रिकेट इतिहास में अमर कर लिया.
लॉर्ड्स में सबसे बड़े रन चेज:
मुश्किलों के बाद भी डगमगाई नहीं टीम
साउथ अफ्रीका के रन चेज की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी. टीम ने सिर्फ 9 रन के स्कोर पर पहला विकेट गंवा दिया था, लेकिन वियान मुल्डर और मार्करम ने 61 रनों की साझेदारी कर पारी को संभाला. इसके बाद मार्करम और बावुमा की 166 रन की पार्टनरशिप ने जीत की नींव रख दी.
गेंदबाजों ने रखी जीत की बुनियाद
इस ऐतिहासिक जीत की शुरुआत साउथ अफ्रीकी गेंदबाजों ने की थी. कप्तान बावुमा के टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला गेंदबाजों ने बिल्कुल सही साबित किया. कगिसो रबाडा ने अपने अनुभव का कमाल दिखाया और ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी को महज 212 रन पर समेटने में अहम भूमिका निभाई. मार्को यानसेन ने भी तीन विकेट चटकाए जबकि केशव महाराज और मार्करम ने महत्वपूर्ण विकेट लिए.
ऑस्ट्रेलिया का कड़ा मुकाबला
ऑस्ट्रेलिया ने हालांकि आसानी से हार नहीं मानी. उनकी गेंदबाजी ने साउथ अफ्रीकी बल्लेबाजों को बार-बार मुश्किल में डाला, लेकिन साउथ अफ्रीका की टीम इस बार न तो घबराई और न ही टूटी. यही वह मानसिक दृढ़ता थी, जिसकी टीम सालों से तलाश कर रही थी.
आखिरकार, 'चोकर्स' का अंत
साउथ अफ्रीका के क्रिकेट इतिहास में 'चोकर्स' शब्द एक कड़वा सच बन गया था, लेकिन लॉर्ड्स की इस जीत ने वह दाग धो दिया. यह सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं है, यह उस मानसिक बोझ का अंत है, जो टीम को सालों से झुकाए जा रहा था. अब साउथ अफ्रीका टेस्ट क्रिकेट की नई चैंपियन है, और यह जीत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बन जाएगी.
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