Solar Eclipse: खगोलशास्त्र के शौकिनों और आकाशीय घटनाओं में रुचि रखने वाले लोगों के लिए 2027 का सूर्य ग्रहण बेहद खास होने वाला है. यह ग्रहण न सिर्फ अपनी अवधि के लिए प्रसिद्ध होगा, बल्कि यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना साबित होगा, जिसे पिछले कई सौ वर्षों में देखने का मौका नहीं मिला. 2027 में होने वाला यह सूर्य ग्रहण पूरी दुनिया में चमत्कारी रूप से दिखाई देगा और उस दौरान करीब छह मिनट तक अंधेरा छा जाएगा. आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक सूर्य ग्रहण के बारे में विस्तार से.
2027 का सूर्य ग्रहण: एक दुर्लभ खगोलीय घटना
यह सूर्य ग्रहण 2 अगस्त 2027 को होगा और इसका पूर्ण पथ करीब 275 किलोमीटर चौड़ा होगा. यह घटना लगभग 100 वर्षों के बाद दिखाई देगी, जो इसे बेहद खास बनाता है. इस ग्रहण के दौरान, सूर्य पूरी तरह से ढक जाएगा और लगभग छह मिनट के लिए आकाश में अंधेरा छा जाएगा. इतिहास में अब तक का सबसे लंबा पूर्ण सूर्य ग्रहण 743 ईसा पूर्व हुआ था, जब यह घटना सात मिनट 28 सेकंड तक चली थी. हालांकि, 2027 का सूर्य ग्रहण इससे थोड़ा कम, लेकिन फिर भी सैकड़ों वर्षों में देखा जाने वाला सबसे लंबा होगा.
कहां-कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण?
यह सूर्य ग्रहण अटलांटिक महासागर से शुरू होकर जिब्राल्टर जलडमरूमध्य, दक्षिणी स्पेन, उत्तरी अफ्रीका, और अरब प्रायद्वीप तक जाएगा. सबसे पहले यह सूर्य ग्रहण दक्षिणी स्पेन, जिब्राल्टर और मोरक्को में दिखाई देगा. इस दौरान कुछ स्थानों पर लगभग चार मिनट तक अंधेरा छाया रहेगा. इसके बाद यह ग्रहण अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र, सऊदी अरब, यमन और सोमालिया में दिखाई देगा. इन देशों में यह ग्रहण अपनी उच्चतम स्थिति पर पहुंचकर अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करेगा. सऊदी अरब और सोमालिया: विशेष रूप से, सऊदी अरब के जेद्दा और मक्का, यमन और सोमालिया के कुछ इलाकों में यह ग्रहण अपने आखिरी समय में दिखाई देगा.
भारत में नहीं दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
2027 का सूर्य ग्रहण भारत और उसके आसपास के देशों में दिखाई नहीं देगा. हालांकि, मध्य-पूर्वी और उत्तरी अफ्रीका के देशों में यह ग्रहण अपनी पूरी सुंदरता के साथ देखा जा सकेगा. यदि आप भारत में हैं, तो आपको इस अद्भुत खगोलीय घटना का अनुभव नहीं होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि 2027 के बाद, ऐसा सूर्य ग्रहण शायद 2114 में दिखाई दे. यानी इस खगोलीय घटना को देखने का अगला मौका आने वाले 100 वर्षों के बाद ही मिलेगा.
ये भी पढ़ें: दुनिया की सबसे आधुनिक लैब में क्यों लगी है भगवान शिव की ये खास मूर्ति? वैज्ञानिकों ने बताई सच्चाई