इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने से पहले शुभांशु शुक्ला को किया गया क्वारंटीन, जानें क्या है एक्सिओम मिशन

    भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष मिशन के लिए तैयार हैं. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरने से पहले उन्होंने और उनके तीन साथियों ने 25 मई को अनिवार्य क्वारंटीन फेज में प्रवेश कर लिया है.

    Shubhanshu Shukla was quarantined before going to the ISS
    शुभांशु शुक्ला/Photo- ANI

    नई दिल्ली: भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष मिशन के लिए तैयार हैं. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरने से पहले उन्होंने और उनके तीन साथियों ने 25 मई को अनिवार्य क्वारंटीन फेज में प्रवेश कर लिया है. शुभांशु एक्सिओम स्पेस मिशन-4 (Ax-4) का हिस्सा हैं, जो एक कमर्शियल स्पेस फ्लाइट है और 8 जून को लॉन्च होने जा रही है.

    मिशन की सफलता पर पूरा यकीन है- शुभांशु

    क्वारंटीन में प्रवेश से पहले शुभांशु ने आत्मविश्वास से कहा, "मुझे पूरा भरोसा है कि एक्सिओम मिशन सफल रहेगा. यह न सिर्फ एक मिशन है, बल्कि भविष्य की कमर्शियल स्पेस यात्रा की दिशा में एक ठोस कदम भी है."

    इस मिशन में अंतरिक्ष में वैज्ञानिक शोध, नई तकनीकों का परीक्षण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना मुख्य उद्देश्य हैं.

    क्यों जरूरी है क्वारंटीन?

    स्पेस मिशन से पहले क्वारंटीन में रहना एस्ट्रोनॉट्स की सेहत और मिशन की सफलता दोनों के लिए बेहद जरूरी होता है. इससे ये सुनिश्चित होता है कि मिशन के दौरान कोई संक्रमण अंतरिक्ष में न पहुंचे, जिससे मिशन और अन्य क्रू सदस्यों पर खतरा ना हो.

    Ax-4 मिशन: चार देश, एक साझा सपना

    इस मिशन में भारत के साथ तीन और देशों – अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के एस्ट्रोनॉट शामिल हैं:

    शुभांशु शुक्ला (भारत) – IAF फाइटर पायलट और अनुभवी टेस्ट पायलट

    स्लावोज़ उज़्नान्स्की (पोलैंड) – 1978 के बाद स्पेस में जाने वाले देश के दूसरे एस्ट्रोनॉट

    टिबोर कापू (हंगरी) – 1980 के बाद देश के दूसरे अंतरिक्ष यात्री

    पैगी व्हिटसन (अमेरिका) – अनुभवी नासा एस्ट्रोनॉट, यह उनका दूसरा कमर्शियल मिशन है

    शुभांशु शुक्ला: फाइटर पायलट से एस्ट्रोनॉट तक

    उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी शुभांशु की प्रारंभिक शिक्षा सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, अलीगंज में हुई. 12वीं के बाद उन्होंने NDA परीक्षा पास की और वहीं से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. NDA के बाद 17 जून 2006 को वे भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट बने.

    आज शुभांशु एक अनुभवी टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग अनुभव है. उन्होंने सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 जैसे कई फाइटर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाए हैं.

    ड्रैगन कैप्सूल और फाल्कन-9 रॉकेट से उड़ान

    Ax-4 मिशन स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा. यह एक 14-दिवसीय मिशन होगा, जिसमें अंतरिक्ष यात्री ISS पर माइक्रोग्रैविटी में अनुसंधान करेंगे.

    मिशन के उद्देश्य

    वैज्ञानिक अनुसंधान: माइक्रोग्रैविटी में जैविक, भौतिक और तकनीकी प्रयोग

    नई तकनीक का परीक्षण: भविष्य की अंतरिक्ष यात्रा के लिए नवाचार

    अंतरराष्ट्रीय सहयोग: वैश्विक अंतरिक्ष यात्रियों को साझा मंच

    एजुकेशनल आउटरीच: पृथ्वी पर छात्रों और वैज्ञानिकों को प्रेरित करना

    प्राइवेट स्पेस मिशन है Axiom Space 4

    एक्सिओम स्पेस और नासा की साझेदारी में Ax-4 इस सीरीज का चौथा मिशन है:

    • Ax-1 (अप्रैल 2022) – 17 दिन का मिशन
    • Ax-2 (मई 2023) – 8 दिन का मिशन
    • Ax-3 (जनवरी 2024) – 18 दिन का मिशन

    अब Ax-4 के जरिए एक्सिओम अपने खुद के कमर्शियल स्पेस स्टेशन (Axiom Station) की ओर कदम बढ़ा रहा है, जो भविष्य में ISS को रिप्लेस कर सकता है.

    क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS)?

    ISS एक विशाल वैज्ञानिक लैब है, जो पृथ्वी की सतह से 400 किमी ऊपर 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है. इसे अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान और कनाडा की अंतरिक्ष एजेंसियों ने मिलकर बनाया है.

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