'रोहिंग्या कॉरिडोर के बहाने सेंट मार्टिन द्वीप अमेरिका को बेचना...' शेख हसीना ने यूनुस पर लगाया आरोप

    बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर देश की सुरक्षा और संप्रभुता से खिलवाड़ करने के गंभीर आरोप लगाए हैं.

    Sheikh Hasinas allegation- Yunus is supporting terrorists
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली/ढाका: बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर में है. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर देश की सुरक्षा और संप्रभुता से खिलवाड़ करने के गंभीर आरोप लगाए हैं. हसीना का दावा है कि यूनुस आतंकवादियों के प्रभाव में काम कर रहे हैं और देश को विदेशी शक्तियों के आगे गिरवी रखने की कोशिश कर रहे हैं.

    हसीना का आरोप: सेंट मार्टिन की साजिश

    शेख हसीना ने अपने हालिया फेसबुक पोस्ट में दावा किया कि मोहम्मद यूनुस ‘रोहिंग्या कॉरिडोर’ की आड़ में बांग्लादेश का रणनीतिक महत्व रखने वाला सेंट मार्टिन द्वीप अमेरिका को सौंपने की तैयारी में हैं. हसीना के अनुसार, यह योजना बांग्लादेश की समुद्री सीमा और बंगाल की खाड़ी में देश की रणनीतिक पकड़ को कमजोर कर देगी.

    उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह कॉरिडोर बनता है तो बांग्लादेश की सुरक्षा को गहरा खतरा हो सकता है और विदेशी ताकतें इसका फायदा उठा सकती हैं. सेना प्रमुख ने भी इस प्रस्ताव को 'खूनी कॉरिडोर' करार दिया है और साफ कहा है कि इस तरह के फैसले केवल एक निर्वाचित सरकार ही ले सकती है.

    सत्ता संघर्ष और चुनावों पर टकराव

    हसीना का कहना है कि यूनुस देश को जानबूझकर अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं और 2026 में चुनाव कराने का वादा करके बांग्लादेश की जनता के साथ ‘अप्रैल फूल’ जैसा मजाक कर रहे हैं. हसीना का आरोप है कि यूनुस रोहिंग्या संकट को नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल रहे हैं और बांग्लादेश में अपराध व आतंकवाद तेजी से बढ़ा है.

    वहीं, विपक्षी BNP (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) की नेता खालिदा जिया ने भी अंतरिम सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है. BNP ने दिसंबर 2025 में चुनाव कराने की मांग दोहराई है. सेना भी इस मुद्दे पर जल्द निर्णय चाहती है और 2026 तक चुनाव टालने की यूनुस की योजना से असहमत नजर आ रही है. अगर समय रहते समाधान नहीं निकला, तो देश एक बड़े राजनीतिक टकराव की ओर बढ़ सकता है.

    अमेरिका को क्यों चाहिए सेंट मार्टिन द्वीप?

    सिर्फ 3 वर्ग किलोमीटर का सेंट मार्टिन द्वीप, म्यांमार की सीमा से महज 5 मील की दूरी पर स्थित है, लेकिन इसका भू-राजनीतिक महत्व बहुत बड़ा है.

    पहला कारण: चीन ने हाल ही में बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में एक गहरा बंदरगाह विकसित किया है, जहां चीनी नौसेना की गतिविधियां बढ़ रही हैं.

    दूसरा कारण: बंगाल की खाड़ी, वैश्विक व्यापार का एक महत्वपूर्ण मार्ग है. मलक्का स्ट्रेट के रास्ते चीन का अधिकांश व्यापार यहीं से होकर गुजरता है. अमेरिका, संभवतः इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए सेंट मार्टिन द्वीप पर अपनी सैन्य मौजूदगी चाहता है.

    2021 में भी खबरें आई थीं कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप पर बेस बनाना चाहता है और इसके बदले बांग्लादेश को क्वाड (QUAD) समूह में लाने का प्रस्ताव दे रहा था. अवामी लीग के नेता पहले भी दावा कर चुके हैं कि अगर उन्होंने यह द्वीप अमेरिका को सौंप दिया होता तो आज भी सत्ता में होते.

    आगे क्या?

    सूत्रों के अनुसार, यूनुस की अंतरिम सरकार देश में अगले पांच वर्षों तक बने रहने की मंशा रखती थी, लेकिन सेना, विपक्ष और छात्र संगठनों का बढ़ता दबाव इसे अस्थिर करता दिख रहा है. गृह मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि जनता लंबी अस्थायी सरकार के पक्ष में नहीं है. सेना ने भी चेतावनी दी है कि अगर चुनाव जल्द नहीं कराए गए, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं.

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