नई दिल्ली: देश की राजनीति में एक बार फिर उस वक्त हलचल मच गई जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत को 'डेड इकॉनमी' कहने वाले बयान का समर्थन करते हुए कहा कि "ट्रंप सही कह रहे हैं". इस बयान के साथ ही कांग्रेस के भीतर विचारों का टकराव सतह पर आ गया. जहां एक ओर पार्टी नेतृत्व की बड़ी जिम्मेदारी संभालने वाले राहुल गांधी ट्रंप की टिप्पणी से सहमति जताते नजर आए, वहीं दूसरी ओर पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर, कार्ति चिदंबरम और राजीव शुक्ला ने खुलेआम इसका विरोध किया.
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर इस बात को उजागर कर दिया है कि कांग्रेस के भीतर नीतिगत और दृष्टिकोण आधारित मतभेद धीरे-धीरे खुलकर सामने आ रहे हैं. खासकर जब बात राष्ट्रीय सम्मान और अर्थव्यवस्था जैसी गंभीर विषयों की हो, तो पार्टी की साझा सोच और रणनीति पर सवाल उठने लाजमी हो जाते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप का विवादास्पद बयान क्या था?
पूरे विवाद की जड़ में है डोनाल्ड ट्रंप का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर किया गया पोस्ट, जिसमें उन्होंने भारत और रूस दोनों को 'डेड इकॉनमी' कहा. ट्रंप ने यह टिप्पणी अमेरिका और रूस के व्यापारिक संबंधों को लेकर की, जिसमें उन्होंने कहा, "मुझे फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है. वे चाहें तो अपनी 'डेड इकॉनमी' के साथ रसातल में चले जाएं. हमारे भारत के साथ व्यापारिक संबंध सीमित हैं क्योंकि भारत के टैरिफ दरें दुनिया में सबसे ज्यादा हैं."
इसके अलावा, उन्होंने भारत से आने वाले आयात पर 25% टैरिफ लगाने और रूस से सैन्य उपकरण तथा ऊर्जा खरीदने को लेकर भारत पर संभावित 'दंड' की बात भी की.
राहुल गांधी का जवाब और समर्थन
ट्रंप के इस बयान के कुछ ही घंटे बाद राहुल गांधी ने मीडिया से बातचीत में इस पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने न सिर्फ ट्रंप के बयान को स्वीकार किया, बल्कि केंद्र सरकार को भी निशाने पर लेते हुए कहा, "ट्रंप ठीक कह रहे हैं. यह बात देश के हर नागरिक को पता है, सिवाय प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के. मैं खुश हूं कि उन्होंने सच बयान किया."
राहुल गांधी के इस बयान को भाजपा ने तो राजनीतिक मुद्दा बना ही लिया, लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि कांग्रेस पार्टी के भीतर भी इस पर असहमति सामने आई.
शशि थरूर का कड़ा प्रतिवाद
लोकसभा सांसद और कांग्रेस के सीनियर नेता शशि थरूर ने राहुल गांधी की राय से पूरी तरह असहमति जताई और संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा, "यह बिल्कुल भी सच नहीं है, और हम सब जानते हैं कि ऐसा नहीं है. भारत की अर्थव्यवस्था में समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन उसे 'डेड' कहना पूरी तरह गलत और अतिशयोक्ति है."
शशि थरूर, जो खुद एक पूर्व अंतरराष्ट्रीय राजनयिक रह चुके हैं, ने यह भी इशारा किया कि विदेशी नेताओं के राजनीतिक वक्तव्यों को भारत के संदर्भ में बहुत गंभीरता से लेने से पहले उनका राजनीतिक उद्देश्य और संदर्भ समझना जरूरी होता है.
अन्य कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाएं
राहुल गांधी के समर्थन में कांग्रेस के भीतर कम ही आवाजें सुनाई दीं, जबकि कई वरिष्ठ नेताओं ने या तो ट्रंप की बात को खारिज किया या फिर राहुल के बयान से दूरी बना ली.
कार्ति चिदंबरम, कांग्रेस सांसद और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र, ने कहा, "ट्रंप एक अप्रत्याशित नेता हैं, और इस तरह के तात्कालिक बयान उनके राजनीतिक स्वभाव का हिस्सा हैं. भारत और अमेरिका दोनों वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाएं हैं और उन्हें एक-दूसरे की जरूरत है. यह बयान द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित नहीं करेगा."
वहीं राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने ट्रंप के बयान को 'गैरजिम्मेदाराना' बताते हुए कहा, "हमारी अर्थव्यवस्था में ताकत है. अगर कोई सोचता है कि हमें आर्थिक रूप से खत्म किया जा सकता है, तो वो भ्रम में है. यह एक राजनीतिक बयान है, न कि कोई आर्थिक सत्य."
कांग्रेस में मतभेद या दृष्टिकोण का टकराव?
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के भीतर किसी बड़े बयान पर मतभेद उभरकर सामने आए हों. लेकिन इस बार मामला सीधे देश की अर्थव्यवस्था और उसकी वैश्विक छवि से जुड़ा है. जहां राहुल गांधी केंद्र सरकार पर आर्थिक कुप्रबंधन का आरोप लगाने के लिए ट्रंप के बयान का सहारा लेते दिखे, वहीं थरूर और अन्य नेताओं का मानना है कि राष्ट्रीय हितों के सामने घरेलू राजनीतिक लाभ को तरजीह देना ठीक नहीं.
यह घटनाक्रम बताता है कि कांग्रेस पार्टी एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां उसे विचारधारात्मक स्पष्टता और रणनीतिक एकता की सख्त जरूरत है.
क्या भारत की अर्थव्यवस्था वाकई ‘डेड’ है?
हाल के वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों से गुजरी है- कोविड महामारी, वैश्विक मंदी, बेरोजगारी, और महंगाई जैसे मुद्दों ने सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा किया है. लेकिन इसके बावजूद भारत आज भी दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और IMF, World Bank जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थान भारत के विकास दर को सकारात्मक मानते हैं.
ऐसे में 'डेड इकॉनमी' जैसा लेबल भारत की अर्थव्यवस्था की वास्तविकता से मेल नहीं खाता, बल्कि यह एक राजनीतिक बयानबाजी अधिक प्रतीत होता है.
इस बयान के कुछ घंटों बाद ही राहुल गांधी ने कहा, ‘ट्रंप ठीक कह रहे हैं. सबको ये बात मालूम है, सिवाय प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के. मुझे खुशी है कि ट्रंप ने सच को बयान किया.’ राहुल के इस समर्थन पर न सिर्फ भाजपा, बल्कि खुद कांग्रेस के भीतर भी आवाजें उठने लगीं.
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इस बयान से दूरी बनाते हुए कहा, ‘ट्रंप एक अपरंपरागत नेता हैं. भारत और अमेरिका बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं जिन्हें एक-दूसरे की जरूरत है. ऐसे तात्कालिक बयान इस रिश्ते को प्रभावित नहीं करेंगे.’ उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप पहले भी कई देशों और नेताओं पर तीखे बयान दे चुके हैं, लेकिन बाद में उन्हीं से समझौते भी किए हैं.
राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने भी ट्रंप के बयान को सिरे से खारिज करते हुए कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था बिल्कुल कमजोर नहीं है. अगर कोई कहता है कि हमें आर्थिक रूप से खत्म किया जा सकता है, तो वो भ्रम में है.’
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