इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर भारत के साथ शांति वार्ता की इच्छा जताई है, लेकिन इस बार भी उन्होंने कश्मीर मुद्दे को बातचीत का अहम हिस्सा बनाए जाने की शर्त रखी है. गुरुवार को पंजाब स्थित कामरा एयरबेस पर पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान क्षेत्र में स्थायित्व और शांति चाहता है, पर बिना कश्मीर मुद्दे को सुलझाए कोई भी बातचीत अधूरी मानी जाएगी.
इस मौके पर उनके साथ पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू भी मौजूद थे.
सीजफायर को लेकर पाकिस्तान रुख
डिप्टी पीएम डार ने एक अहम बयान देते हुए दावा किया कि पाकिस्तान ने भारत के साथ सीजफायर की मांग नहीं की थी. उनके मुताबिक भारत ने पहले हमले रोके थे, और उसके बाद सीजफायर पर सहमति बनी. उन्होंने बताया कि दोनों देशों के DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच हॉटलाइन पर बातचीत हुई है और अगली चर्चा 18 मई को निर्धारित है.
डार के अनुसार, सीमा पर चार दिन तक चले ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद दोनों देशों ने 10 मई को सीजफायर पर सहमति जताई, जिसे बाद में 12, 14 और 18 मई तक बढ़ाया गया.
अमेरिका की मध्यस्थता का संकेत
इशाक डार ने एक और बड़ा दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम कराने में अमेरिका की भूमिका अहम रही. उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान को सूचित किया कि भारत अब हमले रोकने को तैयार है. इसके बाद ही युद्धविराम की प्रक्रिया शुरू हुई.
डार ने कहा कि पाकिस्तान ने शुरू से संयम बरता और किसी भी जवाबी कार्रवाई से पहले अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को विश्वास में लिया. उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान शांति चाहता है, लेकिन यदि उकसाया गया तो पीछे हटने वाला नहीं.
भारत को कड़ी चेतावनी
पंजाब के सियालकोट स्थित एक सैन्य छावनी में सैनिकों को संबोधित करते हुए पीएम शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान ने "भारत के घमंड को चकनाचूर" कर दिया है. उनके अनुसार, भारत को अपने सैन्य संसाधनों और अरबों डॉलर की सैन्य ताकत पर घमंड था, लेकिन पाकिस्तान ने उसे “झटका” दिया है.
उन्होंने सीधे तौर पर कहा, “हम शांति और युद्ध, दोनों के लिए तैयार हैं. फैसला अब भारत को करना है.”
सिंधु जल संधि को लेकर विवाद
पाक पीएम ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को कथित तौर पर स्थगित किए जाने पर भी आपत्ति जताई और इसे "रेड लाइन" करार दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने जल संसाधनों पर किसी भी प्रकार की कटौती बर्दाश्त नहीं करेगा और जरूरत पड़ी तो सेना इसके लिए भी संघर्ष करेगी.
कश्मीर मुद्दे पर वही पुराना राग
एक बार फिर पाकिस्तान ने कश्मीर को बातचीत का अनिवार्य हिस्सा बताया है. शहबाज शरीफ ने कहा कि जब तक कश्मीर का मसला संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के आधार पर हल नहीं किया जाता, तब तक व्यापारिक या राजनीतिक संबंध सामान्य नहीं हो सकते. साथ ही उन्होंने भारत पर नीलम और झेलम नदियों के जल संसाधनों को प्रभावित करने का भी आरोप लगाया.
भारत की कार्रवाई पर आपत्ति
पाकिस्तान का कहना है कि उसने पहलगाम हमले की जांच में सहयोग देने की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने संवाद का रास्ता छोड़कर “रात के अंधेरे में हमला” किया. इस बयान से यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच तनाव अब भी कम नहीं हुआ है, भले ही कूटनीतिक कोशिशें चल रही हों.
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