क्या है संसद रत्न पुरस्कार? देश के 17 सांसदों को मिलेगा ये अवॉर्ड, जानिए किन वजहों से होंगे सम्मानित

    देश के 17 सांसदों और 2 संसदीय स्थायी समितियों को संसद रत्न पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया जाएगा. यह पुरस्कार न केवल उनकी मेहनत और समर्पण का प्रमाण है, बल्कि संसद में उनके जीवंत और सकारात्मक हस्तक्षेप को भी रेखांकित करता है.

    seventeen members of parliament will get Sansad Ratna Award
    Image Source: ANI

    Sansad ratna awards 2025: भारतीय लोकतंत्र की असली ताक़त संसद में होती है, जहां जनप्रतिनिधि देश की आवाज़ बनते हैं, नीति निर्माण करते हैं और जनता के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं. ऐसे ही उल्लेखनीय योगदान देने वाले देश के 17 सांसदों और 2 संसदीय स्थायी समितियों को संसद रत्न पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया जाएगा. यह पुरस्कार न केवल उनकी मेहनत और समर्पण का प्रमाण है, बल्कि संसद में उनके जीवंत और सकारात्मक हस्तक्षेप को भी रेखांकित करता है.

    क्यों दिया जाता है संसद रत्न पुरस्कार?

    यह पुरस्कार उन सांसदों को दिया जाता है जिन्होंने संसद में चर्चा, सवाल-जवाब, विधायी कार्य और नीतिगत सुझावों के ज़रिए लोकतंत्र को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है. इसकी शुरुआत 2010 में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरणा से प्राइम पॉइंट फाउंडेशन और ई-मैगजीन 'प्रीसेंस' द्वारा की गई थी. उन्होंने ही इस पुरस्कार का पहला समारोह चेन्नई में उद्घाटित किया था.

    इस साल किन सांसदों को चुना गया?

    इस वर्ष चार सांसदों को उनके लगातार उत्कृष्ट कार्य के लिए विशेष सम्मान दिया जाएगा:

    भर्तृहरि महताब (भाजपा)                      सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी)
    एन. के. प्रेमचंद्रन (आरएसपी)               श्रीरंग अप्पा बारणे (शिवसेना)

    ये सभी सांसद 16वीं और 17वीं लोकसभा में भी लगातार सक्रिय रहे हैं और संसद में उनके योगदान को बार-बार सराहा गया है.

    अन्य संसद रत्न पुरस्कार विजेता सांसद

    इनके अलावा जिन 13 सांसदों को संसद में उनकी सक्रियता, सवाल पूछने, बहस में भागीदारी और विधायी सुझावों के लिए चुना गया है.

    स्मिता वाघ (भाजपा)                                 अरविंद सावंत (शिवसेना - उद्धव ठाकरे गुट)
    नरेश गणपत म्हास्के (शिवसेना)                             वर्षा गायकवाड़ (कांग्रेस)
    मेधा कुलकर्णी (भाजपा)                                         प्रवीण पटेल (भाजपा)
    रवि किशन (भाजपा)                                            निशिकांत दुबे (भाजपा)
    बिद्युत बारन महतो (भाजपा)                               मदन राठौर (भाजपा)
    पी. पी. चौधरी (भाजपा)                                      सी. एन. अन्नादुरै (डीएमके)
    दिलीप सैकिया (भाजपा)

    संसदीय समितियों को भी मिलेगा सम्मान

    केवल सांसद ही नहीं, बल्कि इस बार दो संसदीय स्थायी समितियों को भी उनके विश्लेषणात्मक कार्यों और रिपोर्टों के लिए संसद रत्न पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा. इन समितियों ने संसद में प्रभावशाली रिपोर्टें पेश की हैं और नीति-निर्माण में योगदान दिया है.

    वित्त पर स्थायी समिति – अध्यक्ष: भर्तृहरि महताब
    कृषि पर स्थायी समिति – अध्यक्ष: चरणजीत सिंह चन्नी (कांग्रेस)

    चयन प्रक्रिया कितनी पारदर्शी है?

    इन पुरस्कारों का चयन पूरी तरह से आधिकारिक आंकड़ों जैसे कि संसद की बहसों, पूछे गए सवालों, प्रस्तुत विधेयकों और समिति रिपोर्टों के आधार पर किया जाता है. चयन की ज़िम्मेदारी एक जूरी कमेटी की होती है जिसकी अध्यक्षता इस बार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने की. उनके अनुसार, ये पुरस्कार केवल संख्यात्मक प्रदर्शन नहीं, बल्कि गुणवत्ता और निष्ठा का भी सम्मान हैं.

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