इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में ट्रैकर्स, गुप्त ऑपरेशन... सुरक्षा बलों ने मोसाद स्टाइल में माओवादियों को उखाड़ा

    माओवादी संगठनों के खिलाफ चल रहे अभियान के दौरान सुरक्षा एजेंसियों की एक गुप्त रणनीति का खुलासा हुआ है, जिसने नक्सलियों की आंतरिक संरचना को कमजोर कर दिया.

    Security forces uprooted Maoists in Mossad style
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    माओवादी संगठनों के खिलाफ चल रहे अभियान के दौरान सुरक्षा एजेंसियों की एक गुप्त रणनीति का खुलासा हुआ है, जिसने नक्सलियों की आंतरिक संरचना को कमजोर कर दिया. हाल ही में आत्मसमर्पण करने वाले दो वरिष्ठ नेताओं की पूछताछ से पता चला कि सुरक्षा एजेंसियों ने माओवादियों के संचार उपकरणों में ट्रैकिंग तकनीक फिट कर उनकी गतिविधियों पर महीनों तक नजर बनाए रखी. यह ऑपरेशन खुफिया जगत के उन्नत अभियानों की तरह था, जिसकी तुलना मोसाद शैली की कार्रवाई से की जा रही है.

    आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी नेता- तक्कलपल्ली वासुदेवा राव उर्फ अशन्ना और मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ सोनू ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया कि संगठन का संचार ढांचा लंबे समय से बाहरी निगरानी में था. कई बार ऐसा हुआ कि माओवादियों के गुप्त अभियानों की जानकारी सुरक्षा बलों तक पहले ही पहुंच गई, जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा. पूछताछ में दोनों ने स्वीकार किया कि उन्हें इस बात का अंदेशा तो था, लेकिन एजेंसियों की तकनीकी पहुंच कितनी आगे बढ़ गई है, इसका अंदाजा किसी को नहीं था.

    संचार उपकरणों में गुप्त ट्रैकर लगे मिले

    सुरक्षा एजेंसियों ने नक्सलियों की सप्लाई लाइन का इस्तेमाल करते हुए वॉकी-टॉकी, मोबाइल फोन, लैपटॉप, इनवर्टर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस में माइक्रो-ट्रैकिंग चिप्स फिट कर दिए थे. यह उपकरण मुख्य रूप से तेलंगाना के रास्ते जंगल क्षेत्र में भेजे जाते थे. जैसे ही ये डिवाइस सक्रिय होते, सुरक्षा बलों को लोकेशन, आवाजाही और बातचीत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिलने लगती थी. यही इनपुट कई अभियानों में निर्णायक साबित हुआ.

    ड्रोन से हमले की तैयारी थी

    पूछताछ में यह भी सामने आया कि माओवादी संगठन लंबे समय से ड्रोन की मदद से सुरक्षा बलों पर हमले की योजना तैयार कर रहा था. अशन्ना और मारे गए PLGA कमांडर मदावी हिडमा ने जंगलों में ड्रोन टेस्ट भी किए थे. हालांकि, यह भी स्वीकार किया गया कि संगठन अपनी योजना को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए जरूरी तकनीक हासिल नहीं कर सका. सुरक्षा बलों की लगातार चौकसी और सप्लाई चेन पर निगरानी ने उनकी कोशिशों को कई बार विफल कर दिया.

    एन्क्रिप्टेड ईमेल पर बढ़ती निर्भरता

    कई गुप्त संदेश लीक होने के बाद माओवादी टीमें एन्क्रिप्टेड ईमेल सेवाओं—खासकर प्रोटॉन मेल—का इस्तेमाल करने लगीं. स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य वार्ता शेखर और उनकी टीम ने ट्रैकिंग चिप्स पहचानने की तकनीक सीख ली थी, लेकिन तब तक कई उपकरण सुरक्षा एजेंसियों के नियंत्रण में आ चुके थे. पूछताछ में यह भी सामने आया कि माओवादी नेतृत्व अब भी डिजिटल संचार के प्रति सतर्क है, लेकिन संगठन के भीतर बढ़ती अविश्वास की स्थिति बनी हुई है.

    अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर विरोधाभासी दावे

    सोनू ने अपने बयान में दावा किया कि CPI (माओवादी) का नेपाल, चीन या कश्मीर के किसी समूह से कोई सक्रिय संपर्क नहीं था. हालांकि उसने यह स्वीकार किया कि फिलीपींस की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ वैचारिक स्तर पर संबंध बने हुए थे. दूसरी ओर अशन्ना का कहना था कि पार्टी तुर्की, पेरू और नेपाल के वामपंथी समूहों से विचार-साझा करती रही है. तेलंगाना पुलिस ने सोनू के कई दावों को गलत बताते हुए सितंबर 2024 में नेपाल में बरामद माओवादी ठिकाने की ओर संकेत किया.