प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंच चुके हैं. यह दो दिवसीय समिट 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित हो रही है, जिसमें एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप के कुल 20 से अधिक देशों के शीर्ष नेता शामिल हो रहे हैं. यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब विश्व भर में भू-राजनीतिक और आर्थिक तनाव चरम पर हैं.
प्रधानमंत्री मोदी की यह चीन यात्रा खास इसलिए भी मानी जा रही है क्योंकि वे पिछली बार 2018 में चीन गए थे. 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में काफी खटास आ गई थी. ऐसे में इस दौरे को दोनों देशों के संबंधों को नए सिरे से पटरी पर लाने की एक बड़ी पहल माना जा रहा है.
SCO समिट में 20 देशों का प्रतिनिधित्व
तियानजिन में हो रही इस बार की SCO समिट को चीन के इतिहास की सबसे बड़ी बैठक बताया जा रहा है. इसमें भारत, रूस, चीन, ईरान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान, बेलारूस समेत मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों के प्रमुख शामिल हो रहे हैं. यह वैश्विक मंच इन देशों के लिए सुरक्षा, रणनीतिक साझेदारी और आर्थिक सहयोग को लेकर चर्चा का एक बड़ा अवसर बन गया है.
जिनपिंग और पुतिन से मुलाकात तय
सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अलग से मुलाकात होने की संभावना जताई जा रही है. वहीं 1 सितंबर को उनकी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय वार्ता पहले से ही तय है. इन बैठकों के दौरान क्षेत्रीय स्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा, वैश्विक व्यापार और द्विपक्षीय हितों पर गहन बातचीत संभव है.
अमेरिका की 'टैरिफ राजनीति' के खिलाफ एकजुटता?
पिछले कुछ समय से अमेरिका द्वारा कई देशों पर टैरिफ के जरिए दबाव बनाने की रणनीति ने वैश्विक बाजारों में असंतुलन पैदा किया है. ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया. चीन के खिलाफ भी 200% तक टैरिफ लगाने की धमकी दी गई है. ऐसे में SCO जैसे मंच पर भारत, रूस और चीन की त्रिकोणीय उपस्थिति अमेरिका की व्यापारिक नीतियों के खिलाफ एकजुट प्रतिक्रिया का संकेत दे सकती है.
वैश्विक संकटों के बीच अहम बैठक
जब पूरी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास संघर्ष, और अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर जैसे संकटों से गुजर रही है, तब यह SCO सम्मेलन वैश्विक संतुलन के लिहाज से निर्णायक साबित हो सकता है. प्रधानमंत्री मोदी की जिनपिंग और पुतिन के साथ होने वाली बैठकें कूटनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और संभव है कि इनसे नए वैश्विक समीकरण सामने आएं.
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