पुतिन-जिनपिंग और मोदी का जोड़ देख टूट गई अमेरिका की अकड़! तीकड़ी को लेकर कहा-...महान देश

    भारत और अमेरिका के बीच बीते कुछ हफ्तों से व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 50% टैरिफ लगाने और रूस से तेल खरीद को लेकर नाराजगी जाहिर करने के बाद अब इस मुद्दे पर अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने भी प्रतिक्रिया दी है.

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    India-US Trade Relations: भारत और अमेरिका के बीच बीते कुछ हफ्तों से व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 50% टैरिफ लगाने और रूस से तेल खरीद को लेकर नाराजगी जाहिर करने के बाद अब इस मुद्दे पर अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने भी प्रतिक्रिया दी है.

    हालांकि, जहां एक ओर उन्होंने भारत के कुछ फैसलों की आलोचना की, वहीं दूसरी ओर यह भी साफ किया कि दोनों देशों के बीच गहरे संबंध हैं और कोई भी मतभेद आपसी संवाद से सुलझाया जा सकता है.

    “दो महान लोकतंत्र अपने मतभेद सुलझा सकते हैं” 

    फॉक्स न्यूज को दिए एक विशेष इंटरव्यू में ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा भारत और अमेरिका के रिश्ते मजबूत नींव पर खड़े हैं. यह दो सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और इनके बीच किसी भी तरह का मतभेद बातचीत से सुलझाया जा सकता है. मुझे पूरा भरोसा है कि ये दोनों महान देश इसका हल निकाल लेंगे. उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राष्ट्रपति ट्रंप भारत पर आयात शुल्क बढ़ाने की नीति अपना चुके हैं और भारत की ऊर्जा खरीद नीतियों को लेकर खुले मंच पर नाराजगी भी जता चुके हैं.

    रूसी तेल खरीद पर अमेरिका की नाराजगी

    बेसेंट ने साफ कहा कि भारत का रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल खरीदना और फिर उसका परिष्करण कर के वैश्विक बाजार में बेचना, अप्रत्यक्ष रूप से रूस के युद्ध प्रयासों को सहयोग प्रदान कर रहा है. भारत ने सस्ता रूसी तेल खरीदकर और उसे उत्पाद बनाकर दुनिया में बेचा है. यह आर्थिक रूप से रूस की मदद कर रहा है. यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में यह एक गलत दिशा है.

    टैरिफ बढ़ाने की वजह भी स्पष्ट की

    ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर पहले 25% और फिर 50% आयात शुल्क लगाने के फैसले पर बोलते हुए ट्रेजरी सचिव ने कहा कि यह कदम व्यापार वार्ताओं में ठहराव के चलते उठाना पड़ा. “हम भारत के साथ एक संतुलित व्यापार समझौते की ओर बढ़ना चाहते थे, लेकिन कई बार बातचीत की गति धीमी रही. टैरिफ बढ़ाना एक प्रतिक्रिया थी, लेकिन इसका मकसद दरवाजे बंद करना नहीं, बल्कि नई बातचीत की शुरुआत करना है.

    भारत की कूटनीति पर भी उठे सवाल

    इंटरव्यू के दौरान बेसेंट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया एससीओ शिखर सम्मेलन में व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के साथ मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की मूल्य प्रणाली अमेरिका के करीब है, रूस या चीन के नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका यह उम्मीद करता है कि भारत वैश्विक मंचों पर उसी दिशा में खड़ा हो जहां लोकतंत्र, पारदर्शिता और वैश्विक नियमों का सम्मान हो.

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