PM Modi Man ki Baat: हर सुबह के साथ जब सूरज उगता है, तो भारत केवल एक और दिन नहीं जीता, वह अपनी गौरवशाली परंपरा, वैज्ञानिक सोच और जनशक्ति की कहानी दोहराता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 124वें संस्करण में देशवासियों से संवाद करते हुए ऐसे ही प्रेरक विषयों को छुआ, जो आज के भारत की आत्मा को दर्शाते हैं.
कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने हाल ही में अंतरिक्ष से लौटे भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला के ज़िक्र से की. जैसे ही शुभांशु धरती पर लौटे, पूरा देश गर्व और आश्चर्य से भर गया. यह सिर्फ एक वैज्ञानिक की वापसी नहीं थी, बल्कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा का वह पड़ाव था जो अब जन-जन की भावना से जुड़ चुका है.
चंद्रयान-3 और विज्ञान की नयी लहर
प्रधानमंत्री ने याद किया कि जब चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर सफल लैंडिंग की थी, तब विज्ञान को लेकर पूरे देश में एक नई चेतना पैदा हुई. अब छोटे-छोटे बच्चे अंतरिक्ष विज्ञान में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. उन्होंने 'इंस्पायर मानक' अभियान का जिक्र किया, जो बच्चों में नवाचार (Innovation) की भावना को पंख देता है. अब तक लाखों बच्चे इस अभियान से जुड़ चुके हैं, और चंद्रयान-3 की सफलता के बाद यह संख्या दोगुनी हो गई है.
जब विरासत को मिला वैश्विक सम्मान
भारत की भव्य सैन्य और सांस्कृतिक विरासत को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है. यूनेस्को ने 12 मराठा किलों को वर्ल्ड हेरीटेज साइट्स का दर्जा दिया है. इनमें शिवनेरी (जहां छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ), प्रतापगढ़ (जहां अफजल खान पर विजय मिली), और खानदेरी जैसे ऐतिहासिक किले शामिल हैं. ये सिर्फ पत्थर की इमारतें नहीं हैं, बल्कि भारत के स्वाभिमान और संघर्ष की प्रतीक हैं.
राजस्थान के चित्तौड़गढ़, आमेर, जैसलमेर, और कर्नाटक के गुलबर्गा और चित्रदुर्ग जैसे किले भी इस सांस्कृतिक श्रृंखला को मजबूत करते हैं. प्रधानमंत्री ने अपील की कि देशवासी इन ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करें और अपने इतिहास को करीब से जानें.
स्वतंत्रता का वो चेहरा
इतिहास की बात चली तो प्रधानमंत्री ने भारत मां के वीर सपूत खुदीराम बोस को याद किया. 11 अगस्त 1908 की वह सुबह, जब 18 वर्षीय खुदीराम फांसी के फंदे की ओर मुस्कुरा कर बढ़े, तब पूरे भारत का खून उबाल मार गया था. उनका बलिदान आज भी युवाओं को यह सिखाता है कि सच्चा साहस उम्र का मोहताज नहीं होता.
अगस्त – क्रांति और आत्मचिंतन का महीना
प्रधानमंत्री ने अगस्त को ‘क्रांति का महीना’ बताया. 1 अगस्त को बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि, 8 अगस्त को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की वर्षगांठ, 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’, और फिर आता है 15 अगस्त – आज़ादी का वह दिन जिसकी गूंज हर भारतीय के दिल में आज भी है. यह महीना हमें याद दिलाता है कि आज की आज़ादी असंख्य बलिदानों की देन है.
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