भारत की ब्रह्मोस मिसाइल, जिसने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के आतंकी कैंपों को तबाह किया था, अब विश्व के कई देशों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है. खासतौर पर सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे मुस्लिम देशों ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में अपनी रुचि जाहिर की है, जिससे पाकिस्तान को बड़ा झटका लग सकता है.
भारत की मिसाइल तकनीकी क्षमता पर बढ़ी मांग
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 13 जुलाई, 2025 को कहा, "आपने देखा कि ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल ने शानदार प्रदर्शन किया था. इसके बाद दुनिया के लगभग 14-15 देशों ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल की मांग की है." यह मिसाइल अब सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि विश्वभर के देशों के लिए एक जरूरी रक्षा उपकरण बन चुकी है.
भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाले देशों की सूची
भारत से ब्रह्मोस मिसाइल की डील को लेकर कई देशों ने रुचि दिखाई है. इनमें फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम और मलेशिया प्रमुख हैं. इसके अलावा, सऊदी अरब, यूएई, ओमान, कतर, ब्राजील, मिस्र, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, ब्रुनेई, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे देशों ने भी इस मिसाइल में दिलचस्पी दिखाई है. इन देशों ने या तो डील पर बातचीत शुरू कर दी है या फिर भविष्य में ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की संभावना व्यक्त की है.
कौन से देशों के साथ डील पर बातचीत चल रही है?
फिलीपींस: भारत और फिलीपींस के बीच जनवरी 2022 में 375 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस मिसाइल डील हुई थी. फिलीपींस के साथ इस डील के तहत दो बैच मिसाइलों की डिलीवरी हो चुकी है.
इंडोनेशिया: इंडोनेशिया ने 450 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस डील करने का प्रस्ताव दिया है, हालांकि यह डील अभी फाइनल नहीं हुई है.
वियतनाम: वियतनाम भी भारत से 700 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस मिसाइल डील करना चाहता है.
मलेशिया: मलेशिया भी ब्रह्मोस मिसाइल में रुचि रखता है, खासकर अपनी एयर फोर्स के लिए, जो सुखोई-30MKM फाइटर जेट्स का इस्तेमाल करती है.
पाकिस्तान को झटका
ब्रह्मोस मिसाइल की बढ़ती मांग खासतौर पर पाकिस्तान के लिए चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि इनमें से कई देश पाकिस्तान के करीबी सहयोगी रहे हैं. सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मलेशिया, कतर, और यूएई जैसे देशों से भारत की मिसाइल खरीदने की खबर पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका हो सकती है. पाकिस्तान को जब भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है, इन देशों से उसे समर्थन मिलता है. ऐसे में ये बदलाव पाकिस्तान के रणनीतिक हितों पर असर डाल सकता है. भारत की मिसाइल तकनीकी क्षमता ने मुस्लिम देशों में विश्वास पैदा किया है, और यह संकेत देता है कि इन देशों का भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ सकता है, जबकि पाकिस्तान के लिए यह एक कड़ी चुनौती हो सकती है.
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