Iran on Nuclear Program: ईरान का परमाणु कार्यक्रम इन दिनों विश्व राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है. जहां एक ओर अमेरिका और इजराइल ईरान को यूरेनियम संवर्धन को शून्य करने के लिए दबाव बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रूस ने भी ईरान से ऐसा ही कदम उठाने के लिए कहा है. रूस का कहना है कि इस समय ईरान के लिए यही सबसे बेहतर विकल्प है, और उसे अमेरिका के दबाव में आकर परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने चाहिए.
फिलहाल यही ईरान के लिए सही रास्ता
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ईरान को स्पष्ट संदेश दिया है कि उसे यूरेनियम संवर्धन को शून्य करने के लिए तैयार रहना चाहिए. इस बात का खुलासा अमेरिकी न्यूज आउटलेट एक्सियोस ने सूत्रों के हवाले से किया. पुतिन का कहना है कि फिलहाल यह ईरान के लिए सबसे सुरक्षित और सही रास्ता है, इसलिए अमेरिका की मांग को मानते हुए परमाणु डील पर जल्द ही सहमति बना लेनी चाहिए. हालांकि, रूस के विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि वे इस मुद्दे को कूटनीतिक तरीके से हल करने पर जोर दे रहे हैं.
"हम परमाणु हथियार नहीं बनाएंगे"
चुनौतियों के बावजूद, ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखने की प्रतिबद्धता दिखाई है. जून में, अमेरिका ने ईरान के तीन न्यूक्लियर ठिकानों पर बी-2 बमों से हमला किया था, लेकिन इसके बावजूद ईरान ने अपनी परमाणु संवर्धन गतिविधियों को नहीं रोका. ईरान का कहना है कि चाहे उनके वैज्ञानिकों को मारा गया हो या यूरेनियम को नष्ट कर दिया गया हो, उनका परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा.
अमेरिका ने ईरान से वार्ता की मेज पर लौटने के लिए कहा है, और इसके लिए ओस्लो को स्थान निर्धारित किया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस वार्ता के लिए स्टीव विटकॉफ को विशेष वार्ताकार नियुक्त किया है. ईरान की ओर से अब्बास अराघाची के इस बैठक में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है.
ईरान को लगा झटका
रूस के इस अचानक पलटने से ईरान को बड़ा झटका लगा है. अब तक रूस ईरान का एक मजबूत सहयोगी रहा है, लेकिन जब रूस ने यूरेनियम संवर्धन को लेकर अपना रुख बदला, तो ईरान के लिए यह स्थिति बेहद जटिल हो गई. इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:
रूस और ईरान का सहयोग: रूस हमेशा से ईरान का एक मजबूत सहयोगी रहा है, खासकर यूरेनियम संवर्धन और परमाणु हथियार कार्यक्रम में. रूस के वैज्ञानिक ईरान को यूरेनियम संवर्धन में मदद कर रहे थे, और इस पर एक समय रूस ने खुले तौर पर बयान भी दिया था कि ईरान के न्यूक्लियर प्लांट में उनके वैज्ञानिक मौजूद थे और उन्हें सुरक्षित निकालने की कोशिश की जा रही थी. रूस का यह समर्थन ईरान के लिए महत्वपूर्ण था, लेकिन अब रूस का रुख बदलना ईरान के लिए चिंता का विषय है.
यूक्रेन के साथ युद्ध में ईरान ने की थी रूस की मदद
यूक्रेन युद्ध के दौरान ईरान ने रूस को शाहेद ड्रोन की आपूर्ति की थी, जो काफी प्रभावी माने जाते हैं. इसके अलावा, दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में कई अहम समझौते हुए हैं. लेकिन अब रूस की ओर से यूरेनियम संवर्धन पर शून्य करने का संदेश ईरान के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि यह रूस के समर्थन के खात्मे का संकेत देता है.
क्या इसका असर होगा?
रूस का यह नया रुख ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है. रूस, जो पहले ईरान के परमाणु प्रयासों का समर्थन करता था, अब उसे रुकने के लिए कह रहा है, जबकि अमेरिका और इजराइल ने ईरान से इसके संवर्धन को शून्य करने की मांग की है. इस फैसले से न केवल ईरान का परमाणु कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी इससे बड़े बदलाव आ सकते हैं.
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