उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शिक्षा को व्यवसाय बना चुके नामी निजी स्कूलों पर अब प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. जिले के 33 नामचीन CBSE और ICSE बोर्ड से जुड़े निजी स्कूलों पर शिक्षा के नाम पर अवैध कमाई करने के आरोप साबित होने के बाद प्रत्येक पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
इन स्कूलों पर आरोप था कि ये अभिभावकों पर एनसीईआरटी (NCERT) की बजाय प्राइवेट पब्लिशर की महंगी किताबें खरीदने का दबाव बना रहे थे. इतना ही नहीं, कुछ स्कूल तो किताबों की बिक्री खुद स्कूल परिसर में ही करवा रहे थे, जिससे न सिर्फ शिक्षा को व्यापार बनाया जा रहा था, बल्कि अभिभावकों की जेबों पर भी अनावश्यक बोझ डाला जा रहा था.
जनसुनवाई से शुरू हुई कार्रवाई
जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि जिले के बड़े स्कूल बिना किसी वैधानिक अनुमति के मनमानी फीस वसूल रहे हैं, और बच्चों को महंगी किताबें खरीदने पर मजबूर कर रहे हैं. इस पर डीएम ने शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की एक जांच कमेटी गठित की, जिसने इन आरोपों की गहन जांच की.
जांच रिपोर्ट में पाया गया कि कई प्रतिष्ठित स्कूलों ने एनसीईआरटी की किताबों के बजाय निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें थोपने का खेल रचा था. साथ ही, ये स्कूल चुनिंदा बुकसेलरों से किताबें खरीदवाकर बिक्री से भी मुनाफा कमा रहे थे.
जुर्माने के साथ सख्त संदेश
जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने 33 स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना ठोकते हुए साफ संकेत दिया कि शिक्षा को व्यापार नहीं बनने दिया जाएगा. डीएम कार्यालय से यह भी बताया गया है कि फीस वृद्धि के मामलों की जांच भी प्रगति पर है और यदि कोई स्कूल फीस निर्धारण समिति की अनुमति के बिना फीस बढ़ाते पाया गया, तो अतिरिक्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
बड़े नाम, बड़ी लापरवाहियां
जिन स्कूलों पर कार्रवाई हुई है, उनमें कई स्कूल प्रसिद्ध औद्योगिक घरानों और तथाकथित समाजसेवियों से जुड़े हुए हैं. इनमें एक यारा कैमिकल्स और एक डीएसएम शुगर मिल से जुड़ा स्कूल भी शामिल है. ये वे संस्थान हैं जो अपने-आप को समाजसेवा का वाहक बताते हैं, लेकिन शिक्षा को मुनाफे का साधन बनाए बैठे हैं.
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