बिहार के कटिहार जिले में एक अनोखी शादी चर्चा का विषय बन गई है, जिसमें एक डॉक्टर ने रूस (रसिया) की रहने वाली लड़की से हिंदू रीति-रिवाजों से शादी की. यह शादी न केवल एक अंतरराष्ट्रीय प्रेम कहानी है, बल्कि भारतीय संस्कृति और पारंपरिक विवाह की मिसाल भी पेश करती है. डॉक्टर अनुभव शाश्वत और अनस्तासिया की शादी ने सभी को यह दिखा दिया कि प्यार, संस्कार और सादगी भाषा और राष्ट्रीयता की सीमाओं को पार कर सकते हैं.
पांच साल तक चला प्रेम संबंध
यह कहानी एक साधारण दोस्ती से शुरू हुई थी. डॉक्टर अनुभव शाश्वत ने 2017 में रूस में अपनी मेडिकल की पढ़ाई शुरू की थी. 2020 में कोरोना महामारी के दौरान उनकी मुलाकात अनस्तासिया से हुई. पहले तो दोनों अच्छे दोस्त बने, लेकिन समय के साथ यह दोस्ती गहरी हो गई और प्यार में बदल गई. करीब पांच साल के रिश्ते के बाद, अनुभव ने अपनी जिंदगी की साथी के रूप में अनस्तासिया को चुनने का फैसला किया.
परिवार की स्वीकृति हासिल करना था आसान नहीं
अनुभव ने बताया कि यह रिश्ता उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण सफर था. सबसे पहले, उन्होंने अपने माता-पिता को इस रिश्ते के लिए मनाया. इसके बाद, उन्होंने अनस्तासिया को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराया. दिल्ली में कुछ समय बिताने के बाद, अनस्तासिया को भारतीय रीति-रिवाजों, पारंपरिक खानपान और भारतीय रहन-सहन से परिचित किया गया. इस प्रक्रिया में परिवार की स्वीकृति पाना एक अहम कदम था, और अंततः वह दिन आ ही गया, जब दोनों परिवारों ने इस विवाह को स्वीकार किया.
दुर्गा मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज से हुई शादी
सभी तैयारियों के बाद, शादी का आयोजन कटिहार स्थित दुर्गा मंदिर में हुआ. यहां दोनों ने पारंपरिक हिंदू विधि-विधान से सात फेरे लिए. विदेशी बहू अनस्तासिया ने भारतीय संस्कृति और संस्कारों के प्रति अपनी श्रद्धा को साबित करते हुए पूरी विधि को श्रद्धा से निभाया. उनका भारतीय रीति-रिवाजों में इस तरह से घुल-मिल जाना सभी के लिए एक प्रेरणा बन गया.
सादगी और संस्कार ने जीते सबके दिल
अनस्तासिया की सादगी, भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान और घरेलू संस्कारों ने न केवल उनके ससुरालवालों का दिल जीता, बल्कि पूरे मोहल्ले में उनकी तारीफें होने लगीं. उनका व्यवहार बहुत अच्छा था और उन्होंने भारतीय परिवार के संस्कारों को सहजता से अपनाया. उन्होंने परिवार के बुजुर्गों का सम्मान किया और भारतीय रीति-रिवाजों को पूरी तरह से अपनाया.
परिवार के लोग बेहद खुश
अनुभव की बहन निशा ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि उनकी भाभी का व्यवहार बहुत अच्छा है. वह बिहार की संस्कृति को बहुत अच्छे से सीख रही हैं और जल्द ही हमारी भाषा भी सीख लेंगी. उन्होंने कहा कि, "हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या कहते हैं, क्योंकि हम खुश हैं और परिवार में बहुत प्यार और सम्मान है." अनस्तासिया की बहन ने भी इस संबंध में कहा कि, "लोग क्या कहते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. हम खुश हैं कि हमारी बहन ने एक अच्छा इंसान और परिवार पाया है." यह बयान इस बात का प्रतीक है कि भारतीय परिवारों में विवाह केवल दो व्यक्तियों के बीच नहीं होता, बल्कि दो संस्कृतियों और दो परिवारों का मिलन होता है.
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