मॉस्को से संकेत मिल रहे हैं कि भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों में कुछ नरमी आई है, और यही मौका है जब रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय वार्ता को पुनर्जीवित करने की संभावना प्रबल हो रही है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस दिशा में सकारात्मक संकेत देते हुए कहा कि आने वाले समय में RIC की बैठकें फिर से शुरू हो सकती हैं.
लंबे विराम के बाद उम्मीद की किरण
रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “प्रिमाकोव रीडिंग्स” के मंच से बोलते हुए लावरोव ने बताया कि, हमारी त्रिपक्षीय बैठकें पहले COVID-19 महामारी और फिर भारत-चीन सीमा तनाव के कारण रुकी रहीं. अब हालात में सुधार हो रहा है, जिससे उम्मीद बनती है कि RIC जल्द दोबारा सक्रिय होगा. भारत और चीन के बीच जून 2020 में गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प के बाद से यह कूटनीतिक संवाद मंच स्थगित था.
RIC: त्रिपक्षीय सहयोग की आधारशिला
RIC यानी रूस-भारत-चीन मंच, रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव की दूरदर्शी पहल थी, जो तीनों शक्तिशाली एशियाई देशों के बीच कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक संतुलन स्थापित करने का एक प्रमुख माध्यम रहा है. अब तक RIC के तहत विदेश मंत्रियों की कई बैठकों के साथ-साथ आर्थिक, वित्तीय और रणनीतिक स्तरों पर 20 से अधिक मंत्री स्तरीय संवाद हो चुके हैं.
NATO की भूमिका पर रूस की चेतावनी
लावरोव ने यह भी कहा कि पश्चिमी सैन्य गठबंधन NATO भारत को चीन विरोधी रणनीतियों में शामिल करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि RIC जैसे मंच की पुनर्बहाली न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ज़रूरी है, बल्कि एशिया में संतुलन बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है.
भारत-चीन संबंधों में दिख रही है बर्फ पिघलने की शुरुआत
2020 के बाद से दोनों देशों के बीच संवाद लगभग ठप था, लेकिन अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने रिश्तों को नई दिशा दी. बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने सीमा विवाद और परस्पर अविश्वास को पीछे छोड़कर द्विपक्षीय सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही थी.
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