रूस-यूक्रेन शांति वार्ता फिर विफल, जेलेंस्की ने पुतिन पर लगाया आरोप, दो घंटे में ही बिगड़ गई बात

    तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में शुक्रवार को हुई रूस-यूक्रेन शांति वार्ता एक बार फिर किसी ठोस नतीजे के बिना समाप्त हो गई.

    Russia-Ukraine peace talks fail again
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    इस्तांबुल: तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में शुक्रवार को हुई रूस-यूक्रेन शांति वार्ता एक बार फिर किसी ठोस नतीजे के बिना समाप्त हो गई. तीन साल से अधिक समय से चले आ रहे संघर्ष के बीच यह पहला मौका था जब दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल आमने-सामने बैठे, लेकिन महज दो घंटे से भी कम समय में बातचीत टूट गई.

    बैठक में कौन थे शामिल?

    यूक्रेन की ओर से रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल तुर्की पहुंचा था. दूसरी ओर रूस का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी सहयोगी व्लादिमीर मेडिंस्की कर रहे थे. यूक्रेनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हेओरही टाइखई ने बैठक की पुष्टि करते हुए एक तस्वीर भी साझा की, जिसमें दोनों पक्ष U-आकार की टेबल पर आमने-सामने बैठे नजर आ रहे थे.

    शुरुआत उम्मीदों के साथ, लेकिन अंत जल्द

    हालांकि शुरुआत एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखी जा रही थी, लेकिन कुछ ही समय में यह स्पष्ट हो गया कि दोनों पक्षों के बीच मूलभूत मतभेद अभी भी गहरे हैं. बैठक करीब 90 मिनट में ही समाप्त हो गई, और कोई भी पक्ष किसी तरह की सहमति तक नहीं पहुंच पाया.

    रूस ने रखी जानबूझकर अस्वीकार्य शर्तें- यूक्रेन

    यूक्रेनी पक्ष का कहना है कि रूस ने वार्ता के दौरान ऐसी मांगे रखीं जो न केवल पूर्व सहमति के बाहर थीं, बल्कि व्यवहारिक रूप से स्वीकार नहीं की जा सकतीं. एक वरिष्ठ यूक्रेनी अधिकारी के अनुसार, रूस ने मांग की कि यूक्रेन अपनी सेनाएं उन क्षेत्रों से वापस बुलाए जो वर्तमान में उसके नियंत्रण में हैं — एक प्रस्ताव जिसे यूक्रेन ने "पूरी तरह अस्वीकार्य" बताया.

    अधिकारी के शब्दों में, "ऐसा लग रहा था कि रूस का मकसद वार्ता को सफल बनाना नहीं, बल्कि उसे विफल करना था."

    यूक्रेन का रुख: संघर्षविराम की पहल

    यूक्रेन ने जोर देकर कहा कि उसका उद्देश्य आज की बैठक में वास्तविक समाधान तलाशना था. उनकी प्राथमिकता एक तत्काल संघर्षविराम, नागरिक सुरक्षा और एक स्थायी शांति प्रक्रिया की शुरुआत है. यूक्रेनी पक्ष ने अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य वैश्विक साझेदारों द्वारा सुझाए गए कूटनीतिक मॉडल को भी समर्थन देने की बात दोहराई.

    तुर्की की भूमिका और वैश्विक प्रतिक्रिया

    तुर्की इस शांति प्रयास में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा था, लेकिन स्पष्ट संकेत हैं कि बातचीत की यह पहल मूलभूत विश्वास की कमी के कारण सफल नहीं हो सकी. अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि जब तक दोनों पक्षों के बीच रुचि और ईमानदारी से संवाद की इच्छा नहीं होती, तब तक कोई भी शांति पहल ज्यादा दूर नहीं जा पाएगी.

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