रूस, भारत और चीन का त्रिपक्षीय फोरम (RIC) एक बार फिर से सुर्खियों में आ सकता है. रूस ने इसे फिर से सक्रिय करने का प्रस्ताव रखा है और चीन ने इसे समर्थन दिया है, जिससे भारत भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहा है. इस कदम को लेकर अब उम्मीद जताई जा रही है कि तीनों देशों के बीच फिर से एक नई शुरुआत हो सकती है.
RIC को फिर से सक्रिय करने की पहल
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले महीने आरआईसी को फिर से शुरू करने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद चीन ने भी अपनी सहमति दी. अब, भारत ने भी इसे लेकर खुलेपन का संकेत दिया है. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अगर तीनों देशों के बीच आपसी सहमति होती है, तो इस पर जल्द ही फैसला लिया जा सकता है.
रणधीर जायसवाल, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, ने हाल ही में कहा कि यह त्रिपक्षीय संवाद वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक बेहतरीन मंच हो सकता है. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बैठक की तारीख और समय तय करने का निर्णय आपसी सहमति से लिया जाएगा, और इसमें कोई विशेष समयसीमा नहीं रखी गई है.
क्या RIC फिर से सक्रिय हो पाएगा?
रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने गुरुवार को बताया कि उनका देश भारत और चीन दोनों के साथ मिलकर आरआईसी को फिर से सक्रिय करने के लिए बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा, "हम इस फोरम में सक्रिय रूप से रुचि रखते हैं." चीन ने भी रूस के प्रस्ताव का समर्थन किया है, और चीनी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि यह मंच तीनों देशों के हितों को बढ़ावा देने के साथ ही दुनिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा.
इसके अलावा, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन गए थे. वहां उनकी मुलाकात चीनी विदेश मंत्री वांग यी और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से हुई थी, जिससे यह साफ होता है कि तीनों देशों के बीच संवाद बढ़ सकता है और आरआईसी की सक्रियता पर भी विचार हो सकता है.
RIC का महत्व और इतिहास
आरआईसी (रूस, भारत, चीन) का गठन 1990 के दशक में हुआ था. यह फोरम रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव की पहल पर स्थापित किया गया था. इसका उद्देश्य था, प्रमुख गैर-पश्चिमी देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को प्रोत्साहित करना. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से इस फोरम की सक्रियता में कमी आई है और एक दशक से भी अधिक समय से कोई बड़ी बैठक नहीं हुई थी.
यदि आरआईसी फिर से सक्रिय होता है, तो यह दुनिया की तीन बड़ी सैन्य और आर्थिक शक्तियों – रूस, भारत और चीन – के बीच रिश्तों को और मजबूत कर सकता है. इससे इन देशों को वैश्विक मुद्दों पर एक साझा दृष्टिकोण अपनाने का अवसर मिलेगा, और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकता है.
क्या यह बदलाव वैश्विक राजनीति में बदलाव लाएगा?
रूस, भारत और चीन की तिकड़ी दुनिया की प्रमुख शक्तियों में शुमार हैं, और अगर यह फोरम फिर से सक्रिय होता है, तो इसका वैश्विक राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है. खासकर, अमेरिका के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है क्योंकि इन तीनों देशों की सैन्य और आर्थिक ताकत को नकारा नहीं किया जा सकता.
इस समय, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आरआईसी फिर से प्रभावी ढंग से काम कर सकता है, और क्या यह तीनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूती देगा. यदि ऐसा होता है, तो यह वैश्विक राजनीति के नए समीकरण को जन्म दे सकता है.
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