Su-57E फाइटर जेट के लिए रूस को मिला पहला खरीदार, क्या भारत के साथ भी होगी डील?

    रूस की पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट Su-57E आखिरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहली उड़ान भरने को तैयार है.

    Russia gets first buyer for Su-57E fighter jet
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    मॉस्को: रूस की पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट Su-57E आखिरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहली उड़ान भरने को तैयार है. रूसी सरकारी समाचार एजेंसी TASS की रिपोर्ट के अनुसार, इस अत्याधुनिक लड़ाकू विमान को उसका पहला विदेशी खरीदार मिल गया है. हालांकि, रूस ने अभी तक आधिकारिक रूप से उस देश की पहचान उजागर नहीं की है, लेकिन कूटनीतिक और रक्षा हलकों में अल्जीरिया को इस सौदे का संभावित ग्राहक माना जा रहा है.

    अल्जीरिया में Su-57E की एंट्री लगभग तय

    TASS की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 से Su-57E का विदेशी जमीन पर परिचालन शुरू हो जाएगा. सूत्रों के अनुसार, अल्जीरियाई पायलट पहले से ही रूस में इस विमान की ट्रेनिंग ले रहे हैं और साल के अंत तक कम से कम 6 यूनिट्स अल्जीरिया को सौंपे जा सकते हैं. माना जा रहा है कि यह सौदा रूस के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और तकनीकी सफलता है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर हथियारों की बिक्री में प्रतिस्पर्धा चरम पर है.

    Su-57E: आधुनिक युद्धक तकनीक

    Su-57E, रूस के मूल Su-57 का एक्सपोर्ट वर्जन है, जिसे यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (UAC) और सुखोई ने मिलकर विकसित किया है. यह विमान अपनी स्टील्थ क्षमता, अत्याधुनिक एवियोनिक्स, और सुपरमेन्युवरेबिलिटी के लिए जाना जाता है. इसकी अधिकतम गति 2600 किमी/घंटा है, यह 20,000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है, और दो बार रिफ्यूलिंग के बाद इसकी रेंज 7800 किलोमीटर तक पहुंचती है.

    इसके अलावा, यह ऑल-वेदर मल्टी-रोल क्षमताओं से लैस है, जो इसे हवा, जमीन और समुद्री युद्ध के लिए उपयुक्त बनाती है. हथियारों को विमान के भीतर छुपाकर ले जाने की व्यवस्था इसे रडार से बचाने में सहायक बनाती है. आने वाले समय में इसमें नया Izdeliye 30 इंजन लगाया जाएगा, जिससे इसकी ताकत और भी बढ़ जाएगी.

    क्या भारत खरीद सकता है Su-57E?

    भारत इस समय स्वदेशी फिफ्थ जनरेशन फाइटर प्रोजेक्ट AMCA और Tejas Mk-2 पर काम कर रहा है. हालांकि, मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य—खासकर पाकिस्तान द्वारा चीनी J-35 स्टील्थ फाइटर को जल्द अपनाने की तैयारी—को देखते हुए भारत को एक विश्वसनीय और उच्च क्षमता वाले फाइटर जेट की जरूरत है.

    Su-57E इस लिहाज से भारत के लिए एक रणनीतिक विकल्प हो सकता है. रूस ने भारत को इस जेट का उत्पादन 'मेक इन इंडिया' के तहत शुरू करने और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का प्रस्ताव भी दिया है. यह ऑफर ऐसे समय आया है जब फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट, राफेल का सोर्स कोड भारत को देने से इंकार कर चुकी है.

    भारत-रूस सैन्य साझेदारी को नया आयाम

    भारत पहले से ही रूस के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और ब्रह्मोस मिसाइल का उपयोग कर रहा है. ऐसे में Su-57E का इंटीग्रेशन भारतीय रक्षा प्रणाली में अपेक्षाकृत सरल और सामरिक रूप से लाभकारी होगा. ब्रह्मोस मिसाइल को Su-57E के साथ जोड़ने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं, जो फिलहाल राफेल के साथ संभव नहीं हो पाया है.

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