समंदर में एकसाथ दिखी रूस और चीन की ताकत, पहली बार साथ उतरीं पनडुब्बियां; जानें क्या है प्लान?

    एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक नया रणनीतिक घटनाक्रम सामने आया है. रूस और चीन की नौसेनाओं ने पहली बार संयुक्त रूप से पनडुब्बी गश्त की है, जिसमें दोनों देशों की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों ने भाग लिया. यह अभ्यास अगस्त की शुरुआत में शुरू हुआ और इसे द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को नई ऊंचाई देने वाला कदम माना जा रहा है.

    Russia and China Submarines Joint patrol in asia
    Image Source: Social Media

    मॉस्को: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक नया रणनीतिक घटनाक्रम सामने आया है. रूस और चीन की नौसेनाओं ने पहली बार संयुक्त रूप से पनडुब्बी गश्त की है, जिसमें दोनों देशों की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों ने भाग लिया. यह अभ्यास अगस्त की शुरुआत में शुरू हुआ और इसे द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को नई ऊंचाई देने वाला कदम माना जा रहा है.

    यह पहली बार है जब रूस और चीन की नौसेनाओं ने सतह के जहाज़ों से आगे बढ़ते हुए जल के भीतर संयुक्त संचालन किया है. इससे पहले दोनों देशों ने संयुक्त युद्धाभ्यास किए हैं, लेकिन वे सतही जहाजों तक ही सीमित रहे थे.

    रणनीतिक संदेश: अमेरिका को संतुलित करने की कोशिश

    विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम सिर्फ सैन्य अभ्यास नहीं, बल्कि भूराजनीतिक संकेत भी है.खासतौर पर अमेरिका के प्रति. रूस और चीन दोनों ही अमेरिका की बढ़ती सैन्य मौजूदगी और नीतियों से असहज रहे हैं. ऐसे में यह गश्त ट्रंप प्रशासन और अन्य पश्चिमी ताकतों को जवाब देने की एक रणनीतिक पहल के रूप में देखी जा रही है.‘न्यूज़वीक’ की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की नौसेना ने इस गतिविधि को लंबे समय से चल रहे द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास कार्यक्रम का हिस्सा बताया है, जो हाल के वर्षों में दायरे और गहराई दोनों में बढ़ा है.

    अभ्यास के भीतर क्या हुआ?

    इस साल की शुरुआत में ही रूस और चीन ने एक नकली पनडुब्बी बचाव ऑपरेशन को अंजाम दिया था, जो दोनों देशों के बीच गहराते नौसैनिक सहयोग का प्रतीक था. इसी के कुछ हफ्तों बाद यह पनडुब्बी गश्त शुरू हुई, जिसमें दोनों देशों की तकनीकी विशेषज्ञता और तालमेल की परीक्षा हुई.रूसी सरकारी मीडिया ने इस मिशन को “कठिन परिस्थितियों में उच्च तकनीकी समन्वय” का प्रमाण बताया है.

    दूरगामी इरादे: सिर्फ आज नहीं, भविष्य के लिए भी तैयारी

    रूसी नौसेना के प्रशांत बेड़े और चीनी सेना के बयान इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह एकल अभ्यास नहीं, बल्कि भविष्य में नियमित संचालन और गहराते सैन्य तालमेल की दिशा में एक कदम है. दोनों देशों ने इस प्रकार के संयुक्त अभियानों को जारी रखने की इच्छा जताई है.चीन, जो पहले ही दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना का संचालन कर रहा है, अब अपने बेड़े में लगातार विस्तार कर रहा है. वहीं रूस ने अपने सुदूर-पूर्वी नौसैनिक ठिकानों का आधुनिकीकरण करते हुए परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती को नई दिशा दी है.

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