मुंबई के ऐतिहासिक वानखेड़े स्टेडियम में 16 मई 2025 को एक बेहद खास और भावनात्मक पल देखने को मिला, जब भारतीय क्रिकेट के हिटमैन कप्तान रोहित शर्मा के नाम पर एक स्टैंड का उद्घाटन किया गया. इस मौके पर न केवल क्रिकेट प्रेमियों और उनके फैंस की आंखें नम हुईं, बल्कि खुद रोहित और उनके परिवार के लिए यह एक ऐसा क्षण था जिसे शब्दों में बयां करना आसान नहीं.
इस ऐतिहासिक उद्घाटन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रोहित शर्मा के माता-पिता से बटन दबवाकर स्टैंड का उद्घाटन कराया. जैसे ही स्टैंड पर ‘Rohit Sharma Stand’ की पट्टी सामने आई, रोहित के माता-पिता की आंखों में गर्व और भावुकता का अद्भुत संगम नजर आया. मां-पिता के चेहरे पर वह चमक साफ झलक रही थी जो हर मध्यमवर्गीय परिवार अपने बेटे की सफलता में महसूस करता है.
रोहित की पत्नी रितिका सजदेह भी इस पल में पूरी तरह डूबी हुई नजर आईं. स्टैंड का नाम सामने आते ही उनकी आंखों से खुशी के आंसू बह निकले. यह वही पल था, जब एक पति, एक बेटा और एक क्रिकेटर—तीनों रूपों में रोहित ने अपने परिवार का सिर फक्र से ऊंचा किया.
एक स्थानीय लड़के से ‘लीजेंड’ बनने तक का सफर
रोहित शर्मा का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा. नागपुर में जन्मे और बोरीवली की गलियों में बड़े हुए रोहित ने 2007 में भारत के लिए पहला टी20 मैच खेला. एक दशक से ज़्यादा के करियर में उन्होंने 3 ODI दोहरे शतक, 5 T20I शतक, 5 आईपीएल ट्रॉफियाँ (मुंबई इंडियंस के कप्तान के तौर पर) और 19000 अंतर्राष्ट्रीय रन के आंकड़े के साथ खुद को आधुनिक क्रिकेट के सबसे बड़े बल्लेबाजों में शामिल कर लिया.
उनकी बल्लेबाज़ी में जो नज़ाकत और आक्रामकता का संतुलन है, वो उन्हें बाक़ी बल्लेबाज़ों से अलग बनाता है. लेकिन आज वानखेड़े स्टेडियम में उनका जो रूप सबने देखा—वो सिर्फ एक कप्तान या बल्लेबाज़ नहीं, बल्कि एक भावुक बेटा था.
मध्यमवर्गीय सपनों की जीत
इस पूरे कार्यक्रम के दौरान रोहित शर्मा का बर्ताव और उनकी बॉडी लैंग्वेज कुछ अलग ही कहानी कह रही थी. उनके चेहरे पर संतोष और आंखों में चमक थी—बिल्कुल वैसी ही जैसे कोई मध्यमवर्गीय लड़का अपने माता-पिता का सपना पूरा करने के बाद महसूस करता है. वो एक-एक पल में डूबे हुए दिखे, मानो उनका हर संघर्ष, हर नेट सेशन, हर आलोचना का जवाब इस एक सम्मान में सिमट गया हो.
एक ‘फैमिली मैन’ की छवि
इस पूरे आयोजन में रोहित की एक और झलक खुलकर सामने आई—एक 'फैमिली मैन' की. चाहे वो माता-पिता को प्राथमिकता देना हो या पत्नी रितिका की आंखों से बहते आंसुओं को देखना—रोहित का जुड़ाव अपने परिवार से गहरा और सच्चा नजर आया. वे सिर्फ एक स्टार क्रिकेटर नहीं, बल्कि अपने रिश्तों में भी उतने ही समर्पित हैं, जितना मैदान पर अपने प्रदर्शन में.
कुछ खास आंकड़े
इस पूरे आयोजन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि भावनाओं, संघर्षों और परिवार के सपनों की गाथा भी है. रोहित शर्मा की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद अनंत ऊंचाइयों का सपना देखता है.
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