युद्धविराम के बाद भी तड़पेगा पाकिस्तान, भारत की ओर से इन चीजों पर लगा रहेगा बैन

    ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ सटीक सैन्य कार्रवाई के बाद, युद्धविराम की पहल भले ही हो गई हो, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि 'शांति सिर्फ बंदूकें रोकने से नहीं आती, भरोसा बहाल होने से आती है.' सीजफायर की सहमति भारत ने ‘काइनेटिक एक्शन’ यानी गोलीबारी और हवाई हमलों को रोकने के तौर पर दी है, लेकिन व्यापार, कूटनीति, जल संसाधन और वित्तीय प्रतिबंधों पर कोई नरमी नहीं बरती गई है.

    restrictions imposed by the Indian government on Pakistan will continue even after the ceasefire
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Internet

    ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ सटीक सैन्य कार्रवाई के बाद, युद्धविराम की पहल भले ही हो गई हो, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि 'शांति सिर्फ बंदूकें रोकने से नहीं आती, भरोसा बहाल होने से आती है.' सीजफायर की सहमति भारत ने ‘काइनेटिक एक्शन’ यानी गोलीबारी और हवाई हमलों को रोकने के तौर पर दी है, लेकिन व्यापार, कूटनीति, जल संसाधन और वित्तीय प्रतिबंधों पर कोई नरमी नहीं बरती गई है.

    जारी रहेंगे पाकिस्तान पर लगाए गए प्रतिबंध

    पाकिस्तान भले ही युद्धविराम की अपील लेकर आया हो, लेकिन भारत ने यह साफ कर दिया है कि सिर्फ सैन्य ठहराव से हालात सामान्य नहीं माने जाएंगे. सूत्रों के अनुसार, भारत ने प्रतिबंधों को यथावत रखने का फैसला किया है. 

    सिंधु जल संधि: निलंबन जारी रहेगा. नदियों के पानी को लेकर कोई नई जानकारी साझा नहीं की जाएगी, और निर्माणाधीन जल परियोजनाएं पहले की तरह जारी रहेंगी.

    व्यापार: भारत-पाक व्यापार अभी भी पूरी तरह बंद रहेगा. कोई आयात-निर्यात या व्यावसायिक संवाद नहीं होगा.

    राजनयिक संबंध: दूतावासों के स्टाफ में कटौती बनी रहेगी. हटाए गए राजनयिकों को वापस बुलाने का कोई प्रस्ताव नहीं.

    आर्थिक प्रतिबंध: पाकिस्तान से जुड़ा कोई भी जहाज भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश नहीं कर सकेगा. वित्तीय लेन-देन पूरी तरह अवरुद्ध रहेगा.

    सीजफायर की ज़रूरत पाकिस्तान को क्यों पड़ी?

    भारत के निर्णायक हवाई हमलों के बाद पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली बुरी तरह से प्रभावित हुई. ऐसे में शनिवार को पाकिस्तान के DGMO ने भारतीय समकक्ष को फोन कर सीजफायर की अपील की. 

    संयुक्त राज्य अमेरिका ने पाकिस्तान पर साफ कर दिया था कि यदि वह युद्ध विराम के लिए तैयार नहीं होता, तो आईएमएफ से मिलने वाला 1 बिलियन डॉलर का कर्ज रोक दिया जाएगा. पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पहले ही नाजुक है और ऐसे में यह दबाव निर्णायक साबित हुआ.

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