राम विलास पासवान जयंती: 6 प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में रहे मंत्री, जानिए उनके जीवन की पूरी कहानी

    भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम जिसे सियासत की चाल और माहौल की दिशा का सटीक अंदाज़ा होता था — वह थे रामविलास पासवान. आज उनकी जयंती के मौके पर देश उन्हें श्रद्धा के साथ याद कर रहा है.

    Ram Vilas Paswan Jayanti minister in cabinet of 6 Prime Ministers
    राम विलास पासवान | Photo: ANI

    भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम जिसे सियासत की चाल और माहौल की दिशा का सटीक अंदाज़ा होता था — वह थे रामविलास पासवान. आज उनकी जयंती के मौके पर देश उन्हें श्रद्धा के साथ याद कर रहा है. एक नेता जो दलित समाज की आवाज़ बने और जिनकी राजनीतिक यात्रा मिसाल बन गई. छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके रामविलास पासवान का जीवन संघर्ष, प्रतिबद्धता और चतुराई की मिसाल था.

    खगड़िया की मिट्टी से उठकर संसद तक का सफर

    रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले के एक साधारण परिवार में हुआ. तीन भाइयों में सबसे बड़े रामविलास शुरू से ही पढ़ाई में तेज़ थे. उन्होंने बिहार प्रशासनिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और डीएसपी पद के लिए चयनित हुए. मगर जब एक ही समय पर वह विधायक भी चुने गए तो उन्होंने सिविल सर्विस की बजाय राजनीति को चुना. खुद पासवान ने एक बार बताया था कि एक दोस्त ने पूछा, "सरकार बनना है या सरकारी नौकर?" और उसी सवाल ने उनकी राह तय कर दी.

    सियासत में शुरुआती कदम और विश्व रिकॉर्ड

    पासवान ने अपना पहला चुनाव संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर 1969 में बिहार के अलौली सीट से लड़ा और जीत हासिल की. उस समय उनकी उम्र मात्र 23 साल थी. 1977 में उन्होंने लोकसभा चुनाव में हाजीपुर सीट से 4.25 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल कर विश्व रिकॉर्ड बनाया. यही नहीं, 1989 में उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए 5.05 लाख वोटों से जीत दर्ज की. यह जीत उन्हें गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तक ले गई.

    मंत्री के रूप में अपार अनुभव

    रामविलास पासवान का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया. उन्होंने वीपी सिंह, देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी — इन छह प्रधानमंत्रियों के साथ केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया. केवल 1984 और 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद वह नौ बार सांसद चुने गए.

    आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था, जहां उन्होंने एक साल से ज़्यादा समय बिताया. उनके भीतर सामाजिक न्याय और दलित उत्थान की गहरी प्रतिबद्धता थी. यही वजह थी कि वह सभी राजनीतिक दलों के लिए एक विश्वसनीय सहयोगी बने रहे.

    पारिवारिक जीवन

    रामविलास पासवान ने दो शादियां की थीं. पहली पत्नी से उन्हें दो बेटियां हुईं. बाद में उन्होंने रीना शर्मा से विवाह किया, जो एयरहोस्टेस थीं. इस शादी से उन्हें एक बेटा — चिराग पासवान — और एक बेटी है. राजनीति के साथ-साथ वह परिवार को भी बराबर समय देते थे. उन्होंने अपने भाइयों को भी राजनीतिक रूप से आगे बढ़ाया और संसद तक पहुंचाया.

    बीमारी और निधन

    2019 के बाद उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई और वह सक्रिय राजनीति से धीरे-धीरे दूर हो गए. लंबी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 2020 को दिल्ली में उनका निधन हो गया. उनके जाने के बाद लोजपा में टूट हुई और जिस भाई को उन्होंने राजनीतिक मंच दिया, उसी ने उनके बेटे चिराग पासवान को किनारे कर पार्टी पर कब्जा कर लिया.

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