Rajpal Yadav News: मशहूर बॉलीवुड अभिनेता और कॉमेडी के बादशाह कहे जाने वाले राजपाल यादव एक बार फिर कानूनी सुर्खियों में हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उनकी उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने दुबई में आयोजित दिवाली समारोह में शामिल होने के लिए विदेश यात्रा की अनुमति मांगी है.
यह याचिका एक चेक बाउंस मामले से जुड़ी है, जिसमें राजपाल यादव को निचली अदालत ने सजा सुनाई थी. उसी सजा के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका (revision petition) अभी दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है. इसी संदर्भ में उन्होंने अदालत से विदेश जाने की अनुमति मांगी है.
जस्टिस रवींदर डुडेजा की अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस और मुरली प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किया है और उनसे जवाब मांगा है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर 2025 के लिए तय की है.
दुबई में ‘बिहारी ग्लोबल कनेक्ट’ का आयोजन
राजपाल यादव के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को एक प्रतिष्ठित प्रवासी भारतीय संगठन ‘बिहारी ग्लोबल कनेक्ट’ की ओर से 17 से 20 अक्टूबर तक दुबई में आयोजित होने वाले दिवाली उत्सव में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया है.
उन्होंने कहा कि यह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है जिसमें प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ जुड़ने और भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने के उद्देश्य से यादव को आमंत्रण मिला है.
अदालत से पहले भी मिली थी विदेश जाने की अनुमति
यह पहला मौका नहीं है जब राजपाल यादव ने विदेश यात्रा के लिए अदालत से इजाजत मांगी है. इससे पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें कुछ शर्तों के साथ विदेश जाने की अनुमति दी थी.
पिछले वर्ष जून में अदालत ने उनके खिलाफ चेक बाउंस मामले में हुई दोषसिद्धि को अस्थायी रूप से निलंबित (suspended) कर दिया था. अदालत ने कहा था कि यदि यादव शिकायतकर्ता के साथ सौहार्दपूर्ण समझौते के प्रयास में "ईमानदार और वास्तविक कदम" उठाते हैं, तो उन्हें राहत दी जा सकती है.
क्या है चेक बाउंस विवाद की पृष्ठभूमि?
यह मामला राजपाल यादव द्वारा फिल्म निर्माण के लिए लिया गया कर्ज और उससे संबंधित भुगतान विवाद से जुड़ा है. वकीलों के अनुसार, अभिनेता ने एक फिल्म प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग प्राप्त की थी, लेकिन वह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही, जिससे भारी वित्तीय नुकसान हुआ. नतीजतन, यादव पर लगे भुगतान में विफलता के आरोपों के चलते उन्हें तीन महीने की सजा भुगतनी पड़ी थी.
यह मामला अब भी दिल्ली उच्च न्यायालय के मध्यस्थता केंद्र (Mediation Centre) में विचाराधीन है, जहाँ दोनों पक्षों के बीच समझौते की संभावनाएं तलाशने की कोशिश की जा रही है.
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