राजस्थान की सड़कों पर नहीं दिखेंगे आवारा पशु, हाईकोर्ट ने दिए सख्त निर्देश, अड़ंगा डालने वालों पर होगी FIR

    राजस्थान में सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर बढ़ते आवारा कुत्तों और पशुओं के खतरे पर अब न्यायपालिका ने गंभीर रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार, नगर निगमों और संबंधित एजेंसियों को कड़े निर्देश दिए हैं.

    Rajasthan High Court orders removal of stray dogs and animals from streets
    Image Source: Social Media

    जयपुर: राजस्थान में सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर बढ़ते आवारा कुत्तों और पशुओं के खतरे पर अब न्यायपालिका ने गंभीर रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार, नगर निगमों और संबंधित एजेंसियों को कड़े निर्देश दिए हैं. इसका मक़सद न सिर्फ़ नागरिकों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करना है, बल्कि राज्य की साख और पर्यटकों की सुरक्षा भी बनाए रखना है.

    स्वतः संज्ञान और न्यायमित्र की रिपोर्ट

    जस्टिस कुलदीप माथुर और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ के समक्ष न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य, अधिवक्ता प्रियंका बोराना और अधिवक्ता हेली पाठक ने इस गंभीर समस्या पर पक्ष रखा. न्यायमित्र ने कहा कि नगर निगम, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और अन्य एजेंसियों का यह कानूनी दायित्व है कि नागरिकों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित हो. इसके बावजूद, लापरवाही के कारण आवारा पशुओं के हमले और काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.

    एम्स जोधपुर की शिकायत पर संज्ञान

    एम्स जोधपुर ने 10 अगस्त को न्यायमित्र को पत्र लिखकर अपने परिसर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और मरीजों व स्टाफ पर हमलों का ज़िक्र किया. कोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए इसे भी सुनवाई में शामिल किया.

    हाईकोर्ट के प्रमुख निर्देश

    सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार और निकायों को समय देते हुए कई अहम आदेश दिए.

    डॉग शेल्टर और गौशालाओं की रिपोर्ट: नगर निगम अगली सुनवाई तक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट पेश करेंगे.

    मैनपावर और स्टाफ डिटेल: पशु पकड़ने वाले दल, डॉक्टर और अन्य स्टाफ की जानकारी दी जाएगी.

    विशेष अभियान: शहर की सड़कों से आवारा कुत्तों और पशुओं को हटाने के लिए विशेष ड्राइव चलाई जाएगी.

    अवरोध पर कार्रवाई: अभियान में बाधा डालने वालों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी.

    शिकायत तंत्र: प्रत्येक नगर निगम हेल्पलाइन नंबर और ईमेल जारी करेगा.

    खाना खिलाने की सीमा: भोजन केवल निगम संचालित शेल्टर या गौशालाओं में ही दिया जा सकेगा.

    संवेदनशील क्षेत्रों से त्वरित हटाना: जोधपुर एम्स और जिला न्यायालय परिसर से तुरंत आवारा पशु हटाए जाएंगे.

    हाइवे पर गश्त: राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग प्राधिकरण नियमित गश्त करेगा.

    सुप्रीम कोर्ट का भी सख़्त रुख

    गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में आवारा कुत्तों की समस्या को ‘बेहद गंभीर’ बताया था. शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार और नगर निकायों को सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को तुरंत उठाने और आश्रय स्थलों में रखने का आदेश दिया, साथ ही अभियान में बाधा डालने वालों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी. अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी, जिसमें सभी एजेंसियों से प्रगति रिपोर्ट पेश करने की अपेक्षा की गई है.

    ये भी पढ़ें: दिल्ली की सड़कों पर घुम रहे 10 लाख आवारा कुत्ते, दो साल में ही बढ़ गए 4 लाख, अब SC ने दिए सख्त आदेश