नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या ने सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंता पैदा कर दी है. इस बढ़ते खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़े निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम सहित आसपास के इलाकों के अधिकारियों को छह हफ्तों के भीतर 5000 आवारा कुत्तों को पकड़कर नियंत्रण में लेने का आदेश दिया है. साथ ही, आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त आश्रय स्थल बनाने का भी निर्देश दिया गया है.
आवारा कुत्तों की भयावह संख्या
दिल्ली नगर निगम के ताजा आंकड़ों और सर्वेक्षणों के मुताबिक, दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 10 लाख के करीब पहुंच चुकी है. यह संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, जिससे लोगों के लिए खतरा भी बढ़ा है. खासतौर पर 2023 में केवल 4.7 लाख कुत्तों की नसबंदी ही हो सकी, जो इस समस्या का एक बड़ा कारण बनी है. नसबंदी के अभाव में कुत्तों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और इस वजह से काटने की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है.
नोएडा और गाजियाबाद में स्थिति चिंताजनक
सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि पड़ोसी इलाकों जैसे नोएडा और गाजियाबाद में भी आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. नोएडा में 2025 के पहले पांच महीनों में 52,700 से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा है. गाजियाबाद में भी इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं. यह संख्या इस क्षेत्र में स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है.
कुत्तों के काटने और रेबीज का खतरा
एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) के अनुसार, दिल्ली में कुत्तों के काटने की घटनाएं 2022 में 6,700 थीं, जो 2024 में बढ़कर 25,000 हो गई हैं. दो साल के भीतर यह आंकड़ा लगभग 277 प्रतिशत बढ़ चुका है. इसके साथ ही, रेबीज जैसी घातक बीमारियों का खतरा भी इस बढ़ती समस्या के साथ जुड़ा हुआ है. साल 2023 में दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने लगभग 6 लाख आवारा कुत्तों की मौजूदगी का जिक्र किया था और इससे होने वाले खतरे पर गंभीर चेतावनी दी थी.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और आगे का रास्ता
सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी और नई दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिए हैं कि वे जल्द से जल्द आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर होम बनाएं और छह हफ्ते के अंदर 5000 कुत्तों को पकड़ने का कार्य पूरा करें. कोर्ट ने खासतौर पर उन इलाकों को प्राथमिकता देने को कहा है जहां इस समस्या से सबसे ज्यादा खतरा है. यह कदम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सुरक्षा और लोगों की जान-माल की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक माना जा रहा है.
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